• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

पौड़ी गढ़वाल का प्रसिद्ध खैरालिंग कौथिग विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ, मुण्डनेश्वर में लगता है यह मेला

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

गढ़वाल का प्रसिद्ध खैरालिंग कौथिग बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हो गया है। खैरालिंग कौथिग दो दिन का होता हैपहले दिन मेले की जात होती हैजिसमें मंदिर में ध्वजाएं चढ़ाई जाती हैंइस वर्ष थैर,मिरचोड़ा और पपसोला तीन गांवों के ग्रामीणों ने ध्वजाएं चढ़ाईअब ध्वजा लाने का कौशल और उन्हें चढ़ाना बड़ा कौतुक्तता पूर्ण होता हैमेले के दूसरे दिन को कौथिग कहा जाता है.पहले यह मेला पशु बलि के लिए कुख्यात था, लेकिन अब यहां पशुओं की बलि नहीं दी जाती हैयहां सात्विक पूजा से देव अर्चना की जाती हैइस देव पूजा में कल्जीखाल, द्वारीखाल,पौड़ी, कोट,पाबौ,एकेश्वर और जयहरीखाल विकास खण्डों के लोग सम्मिलित होते हैंइस वर्ष मेले के दूसरे गढ़कला सांस्कृतिक संस्थान के कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीलोकगायक अनिल बिष्ट के गीतों में दर्शकों ने खूब लुत्फ उठाया.