गढ़वाल का प्रसिद्ध खैरालिंग
कौथिग बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हो गया है। खैरालिंग कौथिग दो दिन का होता
है। पहले
दिन मेले की जात होती है। जिसमें मंदिर में ध्वजाएं चढ़ाई जाती हैं। इस वर्ष थैर,मिरचोड़ा और पपसोला तीन गांवों
के ग्रामीणों ने ध्वजाएं चढ़ाई। अब ध्वजा लाने का कौशल और उन्हें चढ़ाना बड़ा कौतुक्तता पूर्ण
होता है। मेले
के दूसरे दिन को कौथिग कहा जाता है.पहले यह मेला पशु बलि के लिए
कुख्यात था, लेकिन
अब यहां पशुओं की बलि नहीं दी जाती है। यहां सात्विक पूजा से देव अर्चना की जाती है। इस
देव पूजा में कल्जीखाल, द्वारीखाल,पौड़ी, कोट,पाबौ,एकेश्वर और जयहरीखाल विकास खण्डों के लोग सम्मिलित होते हैं। इस
वर्ष मेले के दूसरे गढ़कला सांस्कृतिक संस्थान के कलाकारों ने सांस्कृतिक
प्रस्तुतियां दी। लोकगायक अनिल बिष्ट के गीतों में दर्शकों ने खूब लुत्फ उठाया.
मुख्य समाचार
पौड़ी गढ़वाल का प्रसिद्ध खैरालिंग कौथिग विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ, मुण्डनेश्वर में लगता है यह मेला
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