• अनुवाद करें: |
संघ दर्शन

गुरुजी के बाल्यकाल से माँ के संस्कारों का अमिट प्रभाव

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

 संघ संस्मरण 

बाल्यावस्था में अपने घर में माता के द्वारा प्रभु स्मरण के स्तोत्र का मधुर पाठ का बालक माधव पर बड़ा असर पड़ा था,  इस विषय में स्वयं श्री गुरुजी अर्थात संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर ने पुणे के अपने एक भाषण में अपने बचपन के स्मरण को उद्धृत किया था। उन्होंने कहा था- “ मैं जब अपने बचपन को याद करता हूँ, मेरे मस्तिष्क में कई मीठी यादें आ जाती हैं। वह सब घटनाएं मेरे मस्तिष्क पटल पर एक-एक कर गुजर जाती हैं। सुबह के समय मेरी माँ मुझे जल्दी जगा देती थी। मेरी माँ घर के कामों में व्यस्त हो जाती थी, पर उसके साथ-साथ स्तोत्र पढ़ती रहती थी और ईश्वर का नाम जपती रहती थी। ताई की मधुर आवाज मेरे कानों और हृदय में बसने लगती थी। कैसा सघन तथा महान प्रभाव उन मधुर स्वरों, जिन्हें वे सुबह के शांत और उदात्त वातावरण में सुनाती थी, मेरे युवा मस्तिष्क पर पड़ता रहा होगा।”

।। सी.पी. भिशिकर की पुस्तक ‘नवयुग प्रवर्तक श्री गुरुजी’ से ।।