- कपाट बंद होने से पहले आदिकेदारेश्वर भगवान को अन्नकूट का भोग
- भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति को योगध्यान बद्री नामक मंदिर में स्थानांतरित
उत्तराखंड। बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है। शीतकाल में हिमालय के ऊंचे क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने के कारण, हर साल सर्दियों में बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस प्रक्रिया की शुरुआत में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, और भगवान बद्रीनाथ को विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं।
अन्नकूट भोग का महत्व-
पाट बंद होने से पहले आदिकेदारेश्वर भगवान को अन्नकूट का भोग लगाया गया। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जिसमें भगवान को कई तरह के अनाज, सब्जियां, और मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं। इसे 'अन्नकूट महोत्सव' के रूप में भी मनाया जाता है, जो भक्ति और आस्था का प्रतीक है। माना जाता है कि यह भोग भगवान को पूरे शीतकाल के लिए अर्पित किया जाता है, ताकि भगवान की सेवा में कोई कमी न रहे।
विशेष पूजा और कपाट बंद होने की प्रक्रिया-
धाम में कपाट बंद होने से पहले कई विशेष पूजाएं आयोजित की जाती हैं। इस दौरान मंदिर को फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है। पुजारियों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति को पारंपरिक ढंग से श्रृंगारित किया जाता है और विशेष मंत्रोच्चारण के साथ पूजा की जाती है। इस पूजा के बाद धीरे-धीरे कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ होती है, जो कुछ दिनों तक चलती है।
भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति का योगध्यान बद्री में स्थानांतरण-
कपाट बंद होने के बाद, भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति को योगध्यान बद्री नामक मंदिर में स्थानांतरित किया जाता है, जो पांडुकेश्वर में स्थित है। यहां भगवान की शीतकालीन पूजा-अर्चना होती है और भक्तगण यहां भगवान के दर्शन कर सकते हैं। शीतकाल के दौरान यह मंदिर बद्रीनाथ के प्रतिकृति स्वरूप के रूप में काम करता है, और यहाँ पूरे सर्दी के मौसम में भगवान बद्रीनाथ की पूजा नियमित रूप से की जाती है।
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब-
कपाट बंद होने के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान बद्रीनाथ के अंतिम दर्शन करने के लिए धाम में एकत्रित होते हैं। भक्तों का मानना है कि इस अंतिम दर्शन से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान की कृपा बनी रहती है। शीतकाल के दौरान मंदिर बंद रहने के कारण, श्रद्धालु कपाट बंद होने के इस विशेष अवसर को देखने आते हैं और भगवान बद्रीनाथ की कृपा पाने के लिए प्रार्थना करते हैं।
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की यह प्रक्रिया धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं से जुड़ी है, और इसके साथ ही यह दर्शाता है कि भक्तों के दिलों में भगवान बद्रीनाथ के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास है।