विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि यह शर्म की बात है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी ने एक सार्वजनिक सभा में विश्व भर में सम्मान रखने वाली तीन आध्यात्मिक – धार्मिक संस्थाओं पर निशाना साधा है. यह संस्थाएं हैं, भारत सेवाश्रम संघ, श्री रामकृष्ण मिशन एवं इस्कॉन. ममता जी की शिकायत है कि यह तीनों संस्थाएं चुनाव में भाजपा की मदद कर रही हैं.
जारी वक्तव्य में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि ममता जी के अहंकार का उत्तर बंगाल की जनता मत पेटी के माध्यम से देगी.
उन्होंने कहा कि ममता जी के आरोप सच नहीं है. ये तीनों संस्थाएं राजनीति से परे व अपने चुने हुए आध्यात्मिक मार्ग पर चल रही हैं. बहरहाल, यदि यह मान भी लिया जाए कि इन में से किसी ने या इनके किसी पदाधिकारी ने भाजपा की मदद की भी हो, तो भी, लोकतंत्र में इसकी शिकायत की क्या बात है! क्या चुनाव में किसी का समर्थन / विरोध करना, सब का सहज लोकतान्त्रिक अधिकार तथा कर्तव्य नहीं है?
इनमें से एक संगठन को उनकी सरकार ने 700 एकड़ जगह दी थी. हम विश्वास करते हैं कि सरकार ने यह काम कानून के अनुसार ही किया होगा. पर क्या इसके लिए, संस्था को जीवन भर ममता जी का ऋणी रह कर समर्थन करना पड़ेगा? एक आध्यात्मिक संस्था को उसके अच्छे कामों के लिए जमीन दी थी या उसके बदले ममता जी ने आजीवन अपनी पार्टी के लिए समर्थन का सौदा किया था?
आलोक कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की भाषा आक्रामक व अपमानजनक है. इसमें धमकी है. यह सनातन पर हमला है. आत्मवान संस्थाएं इस से विचलित नहीं होती. हम मुख्यमंत्री के कथन की निंदा करते हैं.
विहिप आग्रह करती है कि वह अपने धर्मगुरुओं व आध्यात्मिक संगठनों के पीछे दृढ़ता से बने रहे.
हम देश की जनता से आह्वान करते हैं कि ऐसी सनातन द्रोही पार्टियों व नेताओं को मत पेटी के रास्ते पराजित करें. लोकतंत्र में यह सर्वाधिक प्रभावी कदम होता है.