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पूरी दुनिया ने समझा श्रीअन्न का महत्व, जैविक खेती अपनाएं किसान

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि भारत के किसान परंपरागत जैविक खेती को अपनाएं। मोटा अनाज (श्रीअन्न) का महत्व पूरी दुनिया ने समझा है और आज इसकी चर्चा होने लगी है। मेरठ के हस्तिनापुर में आयोजित भारतीय किसान संघ के कृषक संगम कार्यक्रम के समापन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत शामिल हुए, जहां उन्होंने कहा कि पश्चिम के देश भारत से सीख लेकर उन्नति कर रहे हैं, जैविक खेती हमारी परंपरा रही है, हमारे किसान जैविक खेती अपनाएं, जो किसान जैविक खेती कर रहे हैं वो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। उनकी आमदनी भी बढ़ रही है।

श्री भागवत ने कहा कि दुनिया जिस कृषि संकट से भयभीत है, वो हम दूर कर सकते हैं। पूरी दुनिया कृषि में बदलाव के लिए भारत की ओर देख रही है। मोटा अनाज यानी श्रीअन्न आज पूरी दुनिया अपनाने जा रही है और भारत ही उसका नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती के दुष्परिणाम पूरी दुनिया ने देखे हैं। इस खेती के चक्कर में भारत ने अपनी परंपरागत जैविक खेती को ही छोड़ दिया। भारत वर्षों से जैविक खेती ही करता रहा था और अब इसका फिर से महत्व समझ जाने लगा है। भारत सरकार ने जैविक खेती और मोटा अनाज को प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों योजनाएं ला रही है। हमारे किसानों को इसको अपनाना चाहिए। डॉ मोहन भागवत ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमारे किसानों को छायादार फल वृक्ष लगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की मिट्टी अनमोल और उपजाऊ है। हमें किस हिस्से में क्या बोना चाहिए, इस पर थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है और इसकी परख के लिए आज संसाधन मौजूद हैं। किसानों के लिए मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर है। इस अवसर पर भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बद्री नारायण चौधरी, राष्ट्रीय महामंत्री मोहनी मोहन मिश्र भी मौजूद रहे।

कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने जम्बूदीप कार्यक्रम स्थल पर लगाई गई जैविक खेती आधारित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और उनसे तैयार किए उत्पादों को भी देखा। उस दौरान उन्होंने किसानों से बातचीत भी की।

महाभारत कालीन मंदिरों में की पूजा सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने हस्तिनापुर के आसपास महाभारत कालीन मंदिरों और पौराणिक महत्व के स्थानों पर भी गए। उन्होंने पांडेश्वर महादेव मंदिर में विधिविधान से पूजन किया और यहां स्थापित प्राचीन शिवलिंग के महत्व को भी जाना। डॉ भागवत ने कर्ण मंदिर, जयंती माता शक्तिपीठ के भी दर्शन किए।