संघ संस्मरण
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पुण्य भूमि भारत पर जन्मे सभी लोगों को भारत माता की संतान के रूप में स्वीकार करता है, जाति वंश - धर्म संप्रदाय और अन्य किसी प्रकार के वर्ग भेद का समर्थन नहीं करता है। संघ के भीतर किसी भी प्रकार के भेद के लिए स्थान नहीं है। संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहब देवरस बालक थे तो उनके मित्र भी उनके घर भोजन पर आते थे। तत्कालीन समाज में कुरीति के नाम पर जाति प्रथा का प्रभाव था। एक बार बाला साहब ने अपनी माँ से कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’’ से मेरे कुछ मित्र भोजन करने के लिए आएंगे। परंतु मैं चाहता हूं कि उन सब को मेरी तरह सम्मान प्राप्त हो, चाहे वह किसी भी जाति से संबंध रखते हैं। उन्हें भोजन उन्हीं बर्तनों में परोसा जाए जिनमें हमारा परिवार खाता है। मैं जाति के नाम पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं चाहता।”
।। 5 सरसंघचालक, अरुण आनंद, प्रभात प्रकाशन, प्रथम संस्करण-2020, पृष्ठ- 99-100 ।।