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उत्तराखंड की यह विरासत गैलरी इतिहास और संस्कृति से जोड़ रही है युवाओं को

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देहरादून

उत्तराखंड सरकार, राज्य की संस्कृति और इतिहास को संजोए रखने के साथ ही युवाओं को इससे रूबरू करने पर जोर दे रही है. जिससे आने वाली पढ़ियों को अपनी संस्कृति और इतिहास की जानकारी हो सके. इसी क्रम में देहरादून स्थित अशासकीय विद्यालय एसजीआरआर पीजी कॉलेज में विरासत गैलरी  तैयार की गई है।

उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी, जहां इतिहास की हर धड़कन आज भी जीवित है। इसी शहर में SGRR PG कॉलेज ने तैयार की है एक अनूठी विरासत गैलरी – एक ऐसा खजाना, जिसमें छुपा है उत्तराखंड का गौरवशाली अतीत। यहां आपको मिलेंगे दशकों पुराने ताम्रपत्र, जिनमें दर्ज है गढ़वाल के राजाओं की दान-भूमि, मंदिरों को दिए गए उपहार, और राज्य की सीमाओं का विस्तार। हर ताम्रपत्र के साथ उसका हिंदी अनुवाद भी मौजूद है, ताकि युवा पीढ़ी अपनी जड़ों को समझ सके। गैलरी में उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों को भी संजोया गया है ढोल, दमाऊ, हुड़का, रणसिंघा और डमरू। ये वही वाद्य यंत्र हैं, जिनकी गूंज अब फिर से शहरों की शादियों और पर्वों में सुनाई देती है। यहां भूटिया जनजाति के वे पत्र भी हैं, जिनका इस्तेमाल जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव पर किया जाता था – जन्म से लेकर बुजुर्ग होने तक। साथ ही, उनके द्वारा बनाए जाने वाले कार्पेट की सामग्री भी यहां प्रदर्शित है। गैलरी की एक और विशेषता है ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कपड़े पर बने गढ़वाल जिले के बार्सवर गांव का नक्शा, जिसे 1891-92 में सर्वे ऑफ इंडिया ने तैयार किया था। इस नक्शे में गांव के हर खेत की पूरी जानकारी दर्ज है।

SGRR virasat Gallery

इतना ही नहीं, आज़ादी के बाद भारत सरकार द्वारा जारी किए गए सिक्कों और पुराने नोटों का संकलन भी यहां देखने को मिलता है।"इस पर प्रोफेसर गुसाईं का कहना  है कि हमारी कोशिश है कि युवा पीढ़ी को अपनी परंपरा और इतिहास से जोड़ा जाए। यहां रखे हर ताम्रपत्र, नक्शे और वाद्य यंत्र, उत्तराखंड की असली पहचान हैं।( वीडियो या फोटो लगाकर बाइट लगाए। SGRR विरासत गैलरी सिर्फ एक संग्रहालय नहीं, बल्कि ज्ञान का भंडार है, जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प लिए है। अगर आप भी उत्तराखंड के इतिहास और संस्कृति को करीब से जानना चाहते हैं, तो एक बार जरूर आएं SGRR विरासत गैलरी।