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नौकरी छोड़ केसर की खेती से लाखों कमा रहा यह युवा

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चमोली, उत्तराखण्ड। आज के समय में पलायन उत्तराखण्ड राज्य की एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। नौकरी की तलाश में राज्य के युवा एक बड़ी संख्या में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और अन्य बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं। लेकिन अब धीरे – धीरे युवा भी जागरूक हो रहे हैं और खेती तथा अन्य स्थानीय व्यवसाय करके आत्मनिर्भर हो रहे हैं। और इसका एक जीवंत उदाहरण हैं उत्तराखण्ड के चमोली के रौली गांव के रहने वाले नीरज भट्ट।

दरअसल साल 2022 में नीरज भट्ट की दिल्ली में लाखों के पैकेज की नौकरी लगी थी। लेकिन जब उन्होंने देखा कि किस प्रकार युवाओं के पलायन से गाँव के गाँव खाली हो रहे हैं तो उन्होंने नौकरी को छोड़कर अपने परिवार के साथ गाँव में रहकर ही कुछ करने का निर्णय किया और इसके लिए उन्होंने कृषि को चुना। शुरुआत में नीरज ने उद्यान विभाग की सहायता से कीवी फल और लिलियम फूल की खेती करना शुरू किया, जिससे उन्होंने दो वर्षों में लगभग पांच लाख रुपये का लाभ कमाया।  


अपने कारोबार को और आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने चंडीगढ़ से प्रशिक्षण लेकर ऐरोपोनिक्स विधि से केसर की खेती करना शुरू किया। ऐरोपोनिक्स विधि में वाटरप्रुफ कमरे के अंदर केसर के बीज लकड़ी की ट्रे में रखे जाते हैं। इसके लिए कमरे का तापमान 21 से 5 डिग्री तक होना चाहिए।

नीरज ने बैंक से ऋण लेकर अगस्त माह में कश्मीर से केसर का बीज खरीदकर इसकी खेती करना शुरू कर दिया। केसर की खेती 4 महीने की होती है। वर्तमान में नीरज की केसर की फसल पूरी हो चुकी है और फूलों से केसर भी आने लगा है। केसर का औसतन मंडी मूल्य 620 रूपये है।

नीरज ने खेती को ही स्वरोजगार बनाकर न केवल स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया है बल्कि लोगों की नौकरी को ही रोजगार मानने की मानसिकता को भी गलत साबित कर दिया। इससे प्रेरणा लेकर अन्य युवा भी इस दिशा में कार्य कर सकते हैं।