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तुंगनाथ मन्दिर को मिलेगी नई पहचान, जीर्णोद्धार की तैयारी पूरी

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 उत्तराखंड। 

    • बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष ने लिया जायजा
    •  समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊचाई में स्थिति है मंदिर 
    • उत्तराखंड सरकार और एएसआई के सहयोग से होगा काम

    तुंगनाथ मंदिर, जो दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है और पंच केदार में से एक है, जल्द ही जीर्णोद्धार के लिए तैयार किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक मंदिर के संरक्षण और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के अध्यक्ष ने हाल ही में स्थल का दौरा कर जायजा लिया।

    मंदिर का महत्व-

    तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता अत्यधिक है। यह शिवजी के पंच केदार मंदिरों में से एक है और समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर (12,073 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, जो इसे दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर बनाता है। हर साल यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।


    जीर्णोद्धार की आवश्यकता-

    समय के साथ, मंदिर की संरचना में कुछ क्षति आई है, खासकर प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक तत्वों के कारण। इसके अलावा, मंदिर की ऐतिहासिकता और वास्तुकला की विशेषता को बनाए रखने के लिए इसका जीर्णोद्धार आवश्यक हो गया है। इस जीर्णोद्धार के अंतर्गत मंदिर के पत्थरों, संरचना और आसपास के क्षेत्र को सुदृढ़ किया जाएगा ताकि मंदिर की प्राचीनता और सुरक्षा बरकरार रहे।

    BKTC के अध्यक्ष का दौरा-

    बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के अध्यक्ष ने हाल ही में तुंगनाथ मंदिर का दौरा किया और जीर्णोद्धार के काम का जायजा लिया। उन्होंने मंदिर की स्थिति का निरीक्षण किया और पुनर्निर्माण के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, उन्होंने स्थानीय अधिकारियों और विशेषज्ञों से मिलकर योजनाओं पर विचार-विमर्श किया ताकि जीर्णोद्धार का काम मंदिर की प्राचीनता को बनाए रखते हुए किया जा सके।

    संरक्षण और पर्यटन-

    तुंगनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार न केवल इसकी संरचना की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। जीर्णोद्धार के बाद, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और मंदिर तक पहुंचना भी अधिक सुरक्षित और सुलभ होगा।


    सरकारी और धार्मिक संगठनों का सहयोग-

    उत्तराखंड सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), और बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) मिलकर इस जीर्णोद्धार परियोजना को पूरा कर रहे हैं। इसके अंतर्गत मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील पुनर्निर्माण का काम किया जाएगा।

    तुंगनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। BKTC के अध्यक्ष की सक्रिय भूमिका और निरीक्षण से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि काम उचित तरीके से हो और मंदिर की प्राचीनता और धार्मिक महत्ता को बरकरार रखा जा सके। इस पहल से न केवल मंदिर संरक्षित रहेगा, बल्कि यह श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भी एक बेहतर अनुभव प्रदान करेगा।