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एक विवाह ऐसा भी, जहाँ लिए गए ये संकल्प

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 एक विवाह ऐसा भी, जहाँ लिए गए ये संकल्प

गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश : सनातन संस्कृति में विवाह का बहुत महत्व है। यह एक पवित्र बंधन और परिवार की नींव है। विवाह से समाज का निर्माण होता है और वंश-परंपरा आगे बढ़ती है। इसलिए विवाह का पूरे सांस्कृति रीति रिवाज के अनुसार होना भी आवश्यक है। परंतु कुछ लोग इस पवित्र बंधन की शुरुआत ढ़ोंग, दिखावा और पाश्चात्य संस्कृति के अनुसार करते हैं। आजकल सबसे बड़ा पाखण्ड तो प्री-वेडिंग के नाम पर हो रहा है। सनातन संस्कृति में जहाँ विवाह तय होने के बाद बंधन में बंधने तक युगल जोड़ा एक दूसरे को देखता तक नहीं था आज पाश्चात्य संस्कृति को देखकर बड़ा बनने की होड़ में विवाह से पहले ही एक दूसरे के साथ जोड़े की भाँति दिखावा करने लगते हैं।

आज कल फिल्में और धारावाहिक देखकर विवाह समारोहों में पाश्चात्य संस्कृति के रीति रिवाज अत्यंत प्रचलित हो रहे हैं। परंतु इसके विपरीत समाज में आज भी ऐसे लोग हैं जो अपनी संस्कृति पर गर्व करते हैं और जहाँ भी मौका मिलता है अपनी धरोहर, अपनी पवित्र संस्कृति का प्रचार करने से पीछे नहीं हटते, और कुछ ऐसा कर जाते हैं कि वह समारोह सदैव के लिए स्मरणीय बन जाता है।

कुछ ऐसा ही यूपी के गाजियाबाद में भी देखने को मिला है जहाँ एक अनूठा विवाह समारोह हुआ है। इस विवाह में परंपरा, पर्यावरण व सामाजिक जागरूकता का अन्द्भुत संगम देखने को मिला। जिले के रईसपुर गांव के सुरविंदर किसान का प्रिया चौधरी का विवाह सामाजिक महोत्सव के रूप में हुआ। इस विवाह में सामाजिक, किसान, पर्यावरणविद, धार्मिक, राजनीतिक वर्ग के लोगों ने हिस्सा ले मुक्त कंठ से इसे सराहा और इसे आदर्श विवाह बताया।

पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए विवाह में लोगों को उपहार स्वरूप पौधे भेंट किए गए। समारोह में प्लास्टिक व आतिशबाजी का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया गया। रक्तदान शिविर का भी आयोजन हुआ जिसमें दूल्हे ने भी रक्तदान किया।

इस विवाह के निमंत्रण पत्र पर 10 संकल्प भी छपवाए थे जो इस प्रकार हैं : गौ सेवा भंडारा, सिलाई स्कूल का उद्घाटन, स्लम स्कूल का उद्घाटन, वृद्धो के लिए भारत दर्शन तीर्थ यात्रा, रक्तदान शिविर, सर्वधर्म आर्शीवाद समारोह, जीरो वैस्ट वैवाहिक कार्यक्रम, गांव गोद योजना, नशा छोड़ो जागृती अभियान, वर वधू द्वारा 51 ई लाइब्रेरी खोलने का संकल्प।

दुल्हन की विदाई बैलगाड़ी से की गई। इस दृश्य ने पुराने समय की यादें ताजा कर दीं और ग्रामीण संस्कृति को पुनर्जीवित किया। बैल और गाड़ी दोनों फूलों से सजी थीं।

गाजियाबाद के इस विवाह ने दिखा दिया कि शादियां सिर्फ भव्यता और खर्च का प्रदर्शन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का माध्यम भी हो सकती हैं। सुरविंदर किसान और प्रिया चौधरी का यह विवाह निश्चित रूप से समाज में सकारात्मकता और अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता का कार्य करेगा।