रोजगार समग्र विकास का हिस्सा होता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम होते हैं. वहीं अमेठी की ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अब खुद के रोजगार से आत्मनिर्भर बन रही है. ऐसी ही कुछ कहानी है कौशिल्या देवी की, जो आज सिलाई सेंटर चला रही है. इस सिलाई सेंटर में अलग-अलग तरीके से कपड़े तैयार होते हैं.जिसे बाजारों में बेचकर उनसे मुनाफा कमा रहीं हैं.
कौशिल्या देवी अमेठी जिले के ताला की रहने वाली है. कौशल्या देवी करीब 3 साल पहले समूह में जुड़ी और उन्होंने अलग-अलग समूह के गठन के साथ उसमें महिलाओं को जोड़ा एक समय था कि कौशल्या देवी को लोग उधार पर भी पैसे नहीं देते थे. जो पैसे उन्हें उधार पर देते भी थे उनसे ज्यादा ब्याज के साथ पैसे लेते थे. कौशल्या के जीवन में कई परेशानी आई, लेकिन उन्होंने इस परेशानी का डटकर मुकाबला किया. समूह की शुरुआत को आगे बढ़ने का फैसला लिया.
ये कपड़े होते हैं तैयार
कौशल्या देवी के समूह में प्लाजो सूट सलवार कुर्ती पैजामा लहंगा चुनरी सहित अन्य कपड़े कम दाम में तैयार किए जाते हैं. उन्हें कम दाम में ही लोगों तक पहुंचाया जाता है. इस समूह के जरिए उन्हें एक दिन में एक से 2 हजार का मुनाफा होता है. इसके साथ ही अन्य महिलाओं को भी उन्होंने रोजगार से जोड़ा है. यह समूह अमेठी जनपद के गौरीगंज के टिकरिया में संचालित हो रहा है. टिकरिया में चलने वाले सहायता समूह के जरिए महिलाए रोजगार से जुड़ी है.