अपने लिए तो सब काम करते हैं लेकिन जो दूसरों के लिए काम करते हैं वही महान होते हैं और यह हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन उत्तराखण्ड के देहरादून की रहने वाली पिंकी तिवारी ने ऐसा करके दिखाया है। दरअसल पेशे से शिक्षक पिंकी तिवारी उन बच्चों को शिक्षा और प्रशिक्षण देकर स्वावलम्बी बनाती हैं जो जन्म से ही लाचार और असहाय हैं।
वह पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से स्पेशल चाइल्ड के जीवन को संवारने का काम कर रही हैं। कौलागढ़ में स्थित अपने सेंटर में इन बच्चों को वे व्यवसायिक प्रशिक्षण देती हैं। इस प्रशिक्षण के माध्यम से वे बच्चों को बिस्किट, नमकीन, मंडुवे के प्रोडक्ट्स और अन्य पहाड़ी उत्पादों से कई प्रकार के व्यवसायिक व्यंजनों को तैयार करना सिखाती हैं। जिन्हें बेचकर ये बच्चे आत्मनिर्भर बन सकें।
श्री मंत्रा स्पेशल चाइल्ड केयर सेंटर चलाने वाली पिंकी बताती हैं कि सामान्य बच्चों की तुलना में स्पेशल चाइल्ड कम एक्टिव होते हैं। इसमें कई कैटेगरी होती हैं, कुछ दिमागी रूप से तो कुछ शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। सेंटर द्वारा चलाया जा रहा यह एक ऐसा प्रशिक्षण है जो उनको जीवन जीने की कला सिखाने के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी काम करता है। पिंकी कहती हैं कि यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भी ये स्पेशल चाइल्ड कोई बड़ा बिजनेस तो नहीं कर सकते, लेकिन इतना जरूर है कि वह हेल्पिंग हैंड के तौर काम जरूर कर सकते हैं। वह कहती हैं कि वह उन बच्चों को नि:शुल्क क्लास देती हैं।
नि:स्वार्थ भाव से जरुरतमंदों की सेवा करना सनातन धर्म की एक विशेष परम्परा है। पिंकी जैसी महिलाएं सनातन धर्म का पालन करते हुए अपने सेवा भाव से इन बच्चों के जीवन में प्रसन्नता लाने के प्रयास में जुटी हैं।
मुख्य समाचार
देहरादून : पिछले 10 सालों से भी ज्यादा समय से स्पेशल चाइल्ड की जिंदगियों को संवारने का काम कर रही पिंकी
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