बागेश्वर के सतराली के बुजुर्ग और युवा प्राचीन परंपरा को बचाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसी के तहत प्राचीन परंपरा को लेकर क्षेत्र के सात गांव सतराली की होली महाशिवरात्रि पर्व पर बाबा बागनाथ के दर पर पहुंची. होल्यारों ने मंजीरे और ढोल की थाप पर होली गायन किया और खड़ी होली गायन की शुरुआत की. कई घंटो तक होल्यारों ने भगवान शिव की स्तुति करते हुए होली के गीत गाए. इस दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं और नगरवासियों ने भी खड़ी होली गायन का आनंद लिया.बता दे कि कुमाऊं में पौष माह में महाशिवरात्रि पर्व से खड़ी होली गायन की शुरुआत होती है. सतराली के सात गांव ताकुला, लोहना, खाड़ी, कांडे, पनरेगांव, कोतवाल गांव और झाड़कोट की खड़ी होली गायन का शुभारंभ बागनाथ मंदिर से होता था, लेकिन 1972 से 2017 तक यह परंपरा बाधित रही. 2018 में क्षेत्र के होल्यारों ने इस परंपरा को कायम रखने के लिए सामूहिक प्रयास से फिर शुरू किया. अब फिर से यह परंपरा पुराने रीति-रिवाज और उत्साह के साथ मनाई जाने लगी है.
होल्यारों ने मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद होली गायन की शुरुआत की. ढोल, दमाऊ, मंजीरे की थाप पर होली गायन करते हुए होल्यारों ने बागनाथ मंदिर में सबको झूमने पर मजबूर कर दिया. होल्यारों ने भोलेनाथ को गुलाल अर्पित किया. होली खेले गिरिजापति नंदन... से होली गायन की शुरुआत करते हुए धीरे-धीरे होली का रंग चढ़ता गया और होल्यार पूरी रंग में नजर आए.युवा और बुजुर्ग होल्यारों ने आपसी समन्वय बनाकर होली गायन किया. सुहावने मौसम में होल्यारों की गायकी ने सबको को मंत्रमुग्ध कर दिया. मंदिर प्रबंधन की ओर से होल्यारों को प्रसाद के रूप में गुड़ दिया गया.