विमर्श भारत का' पुस्तक के विमोचन का समारोह कार्यक्रम
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत की राष्ट्रीयता के संबंध में कई विचार आ गए, जो टूट गया क्या वही भारत है? क्या भारत एक जमीन का टुकड़ा है? या संविधान से चलने वाला केवल एक भारत है? केवल ऐसा नहीं है, भारत एक जीवन दर्शन है। आध्यात्मिक प्रतिभूत है। विश्व को संदेश देने वाला विश्व गुरु है। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबाले जी का।
यह उदगार सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने नोएडा के पंचशील बालक इंटर कॉलेज के सभागार में सोमवार को सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, नोएडा की 'विमर्श भारत का' पुस्तक विमोचन समारोह में कही। इस अवसर पर इंडिया टीवी की वरिष्ठ पत्रकार मीनाक्षी जोशी को प्रेरणा सम्मान 2024 दिया गया ।
उन्होंने कहा कि प्रेरणा संस्थान पिछले कुछ वर्षों में समाज में वैचारिक और बौद्धिक परिवर्तन लाने के सार्थक प्रयास में लगी हुई संस्था है। विशेष रूप से मीडिया क्षेत्र में प्रेरणा का सफल हस्तक्षेप है। विमर्श भारत का पुस्तक का यहां लोकार्पण हुआ है। यह प्रेरणा के योगदान से पिछले 4 वर्षों में विमर्श के संदर्भ में चार आयामो को निश्चित करते हुए उसके संदर्भ में एक संकलित और संक्षेप में चार विमर्शों का संकलित ग्रंथ है। इसमें लोक, राष्ट्र और मानव हित में क्या होना चाहिए और सही क्या है एक महत्वपूर्ण दिशा देती है।
इस मौके पर दत्तात्रेय होसबाले कहा कि महाकुंभ विमर्श ने एक महासमर खोल दिया है। महाकुंभ से निकले हुए ऐसे कई विमर्श अलग-अलग दिशा में लोगों का मार्गदर्शन करेंगे। भारत में हजारों पंथ हैं, अब इंडिया नहीं इसे भारत कहना है और इसे ठीक करना पड़ेगा। उन्होंने कहा भारत के संबंध में बहुत भ्रामक बातें फैलाई गईं। भारत को कहा गया कि भारत केवल एक कृषि प्रधान देश है, यहां किसी भी प्रकार का उद्योग नहीं है, जबकि यह सत्य नहीं है। हम किसी भी क्षेत्र में कम नहीं थे, हमने अपने स्वाभिमान को खोया। हमारी शिक्षा पद्धतियां नष्ट हुईं, जो बाहरी आक्रांता आए उन्होंने हमारे देश का दमन किया। उस समय वह हमसे निश्चित तौर पर बेहतर थे। हमें कभी ऐसा नहीं लगा कि अंग्रेजों ने राज किया वह हमसे थोड़ा ऊपर है। अंग्रेजीयत को लगता है कि हम अंग्रेजी नहीं बोल सकते तो हम कमजोर हैं। आज भारत पूरी तरह से स्वतंत्र है उसका मस्तिष्क स्वतंत्र है पूरी दुनिया में विमर्श की लड़ाई है। पहले के दशकों में पढ़ाया जाता था कि भारत का गणित और विज्ञान के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं है। भारत के इतिहास को तोड़ा और मरोड़ा गया है जबकि भारत का इतिहास समृद्धि से भरा पड़ा है। आज यह महत्वपूर्ण है कि विश्व के बहुत से ऐसे लोग भारत के बारे में एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। इंडिया देशः नामक पुस्तक के चार खंडों में इसका उल्लेख विस्तार से दिया गया है। भारत को विश्व के लोगों ने क्या कहा है इस पुस्तक में आपको विस्तार से समझने और पढ़ने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत का मूल परिचय संस्कृति का परिचय है। आचरण के महान आदर्श हैं। आधुनिकता का स्वागत करना चाहिए।
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि व्यक्ति की दिशा ठीक होनी चाहिए। दिशा ठीक होने से लक्ष्य आसान हो जाता है। दिशा ठीक नहीं होने से व्यक्ति भ्रमित होता है और जीवन में अपना लक्ष्य भी निश्चित नहीं कर पाता। उन्होंने बताया कि भारत में हमारे जो पूर्वज थे उन्होंने निश्चय कर लिया था कि किसी भी स्थिति में अपनी संस्कृति की रक्षा करना है और अपने विचार को बचा कर रखना हैं। काल के प्रवाह में भी इस देश की कभी संस्कृति नष्ट नहीं हुई, हमारे देश के मनीषियों ने इसको अलग-अलग रूप में प्रस्तुत किया है।
भारत का लक्ष्य सर्वे भवंति सुखना, हमारे देश के लोगों का भाव उदार चरिता नाम तू वसुदेव कुटुंबकम बताया गया है।
भारत सारे विश्व की मानवता के बारे में सोचता है l उन्होंने गुरु रामदास का उदाहरण देते हुए कहा कि वे बचपन में भी पूरे विश्व के बारे में चिंता करते थे। भारत उठेगा, विश्व का दीप स्तंभ बनने के लिए भारत को अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा और मजबूत होना पड़ेगा। हमारा दायित्व बनता है कि हम पूरे भारत में शांति स्थापित करें। पूरे भारत में तरह-तरह के विमर्श नरेटिव के रूप में चलाए जाते हैं। हमें सत्य लिखना है, सत्य बोलना है और सत्य ही दिखाना है। यह बौद्धिक संघर्ष की बात है। जब बौद्धिक संघर्ष की बात आती है तो हमारा ध्येय सत्य की स्थापना, खोज और जीना होना चाहिए l
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं न्यूज 24 की प्रधान संपादक अनुराधा प्रसाद ने कहा कि युवा पीढ़ी हमारे देश को आगे लेकर जाएगी। उसे समाज के साथ सरोकार रखना पड़ेगा। परिवार, समाज और देश के साथ कैसे जुड़ना और आगे बढ़ाना है हमें यह सोचना है।
इस मौके पर मंच पर प्रेरणा शोध संस्थान न्यास की अध्यक्ष प्रीति दादू, प्रेरणा विमर्श के अध्यक्ष अनिल त्यागी और सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली और सह क्षेत्र संघचालक पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रोफेसर नरेंद्र तनेजा रहे।
कार्यक्रम में कुलपति बलदेव भाई शर्मा, प्रोफेसर संजीव शर्मा, सांसद डॉ महेश शर्मा, पद्मश्री उमाशंकर पांडे, वरिष्ठ पत्रकार विष्णु त्रिपाठी, बृजेश सिंह, आनंद नरसिंहम, अवधेश कुमार, नलिन मेहता, हरिश्चंद्र वर्णवाल, अतुल अग्रवाल, अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे सहित सैकड़ो लोग मौजूद रहे।
नोएडा में अब तक संपन्न प्रेरणा विमर्श
नोएडा स्थित प्रेरणा शोध संस्थान न्यास ने प्रतिवर्ष प्रेरणा विमर्श के मध्यम से विगत चार वर्ष 2020-23 में प्रिंट-टीवी के पत्रकार, लेखक मीडिया के छात्र शिक्षक और सोशल मीडियाकर्मी आदि जाने माने वक्ताओं के विचारों को मंच दिया है।
विदित हो कि पहला प्रेरणा विमर्श 6 से 9 फरवरी, 2020 को गौतमबुद्ध नगर विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में 'भारत की सांस्कृतिक विरासत और मीडिया' विषय पर शुरू हुआ था। फिर दूसरा प्रेरणा विमर्श 24 से 26 दिसंबर, 2021 को भाऊराव देवरस सरस्वती शिशु मंदिर, नोएडा में 'भारतोदय: आजादी का अमृत महोत्सव' विषयानुगत रहा। इसी क्रम में तीसरा प्रेरणा विमर्श 9 से 13 नवंबर, 2022 को 'भविष्य का भारत' थीम पर सम्पन्न हुआ। जबकि चौथा प्रेरणा विमर्श 15 से 17 दिसंबर 2023 को गौतमबुद्ध नगर विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में 'स्व' भारत का आत्मबोध विषय पर सुधि वक्ताओं ने मंथन किया। समारोह में विमोचित पुस्तक 'विमर्श भारत का' इन विचारों को सार स्वरूप संस्थान का पाठकों तक पहुंचाने का मकसद है। भारत को भारत की दृष्टि से देखने समझने और समझाने के प्रयास को प्रेरणा शोध संस्थान न्यास की विगत चार वर्षों के प्रेरणा विमर्श में विचारों की प्रस्तुत करने वाली इस पुस्तक को सुभाष चंद्र सिंह ने संकलन व संपादित और सुरुचि प्रकाशन ने प्रकाशित किया हैं कार्यक्रम का संचालन श्याम सहाय और मोनिका चौहान ने किया।