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नारी शक्ति की मिसाल: सहारनपुर की निशि जैन, जो हजारों ज़िंदगियों में बनीं रोशनी की किरण

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नारी शक्ति की मिसाल: सहारनपुर की निशि जैन, जो हजारों ज़िंदगियों में बनीं रोशनी की किरण

 

भारत में नारी को शक्ति, करुणा और प्रेरणा का प्रतीक माना जाता है। वह सिर्फ एक परिवार की धुरी नहीं, बल्कि समाज के निर्माण की आधारशिला भी होती हैं। महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और मेहनत से खुद को साबित किया है, फिर चाहे वह विज्ञान हो, राजनीति हो, खेल हो या समाज सेवा। इन्हीं में से एक नाम है सहारनपुर की निशि जैन, जिन्होंने अपने जीवन के 45 वर्ष समाज सेवा को समर्पित कर दिए और हजारों लोगों की जिंदगी में उजाला भरने का कार्य किया।

 

निशि जैन की समाज सेवा की एक प्रेरणादायक कहानी है वो 62 वर्षीय निशि जैन सहारनपुर की जानी-मानी समाज सेविका हैं। एक संपन्न परिवार में जन्म लेने के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन को जरूरतमंदों की सेवा में समर्पित कर दिया। उनके मन में यह भाव बचपन से ही था, जब वे घर से बाहर निकलकर उन बच्चों को देखती थीं जो भोजन, शिक्षा और अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित थे। इस पीड़ा ने उनके मन को झकझोर दिया और उन्होंने समाज सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया।

 

बेटियों की शादी से लेकर आत्मनिर्भरता तक का सफर निशि जैन ने न केवल जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा दी, बल्कि सैकड़ों गरीब कन्याओं की शादी भी कराई। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इन बेटियों को दहेज की बेड़ियों में जकड़ने के बजाय एक सशक्त भविष्य मिले। उनके प्रयासों से कई लड़कियां आज आत्मनिर्भर होकर अपने पैरों पर खड़ी हैं।

 

उनका योगदान यहीं तक सीमित नहीं है। निशि जैन ने हुनरमंद लेकिन संसाधनों से वंचित बच्चों के लिए एक स्टूडियो तैयार कराया, जहां संगीत में रुचि रखने वाले बच्चे अपनी कला को निखार सकें। उनके इस प्रयास से कई बच्चे आज बड़े मंचों पर सहारनपुर का नाम रोशन कर रहे हैं।

 

भूखे को भोजन और हर जरूरतमंद को सहारा निशि जैन ने अपनी सामाजिक सेवा के तहत हजारों गरीबों को भोजन उपलब्ध कराया। उनका मानना है कि कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोना चाहिए। इस विचार के साथ उन्होंने विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से जरूरतमंदों को भोजन बांटने की पहल की, जो आज भी निरंतर जारी है।

 

निशि जैन  बताती है की पति का पूरा सहयोग और राजनीति में सक्रियता समाज सेवा का यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उनके पति ने उन्हें पूरा सहयोग दिया। घर से बाहर जाकर सेवा कार्य करना कई चुनौतियों से भरा होता है, लेकिन उनके समर्पण और दृढ़ संकल्प ने उन्हें कभी पीछे हटने नहीं दिया। इसके साथ ही, वे राजनीति से भी जुड़ी रही हैं, लेकिन उन्होंने अपने अधिकतर समय को समाज सेवा को ही समर्पित किया है।