गजरौला (अमरोहा) : आजकल खानपान की बदलती प्रवृत्तियाँ स्वास्थ्य के लिये सबसे ज्यादा खतरनाक है और यह कई बीमारियों को निमंत्रण भी देती है। ऐसी ही एक बीमारी है टीबी। अगर सही समय पर इसका उपचार न मिले तो यह लोगों की जान भी ले सकती है।गांव रहमापुर की रहने वाली ललिता देवी ने बताया कि उन्हें टीबी हो गई थी। शुरुआत में उन्होंने निजी अस्पतालों में इसका इलाज करवाया। लेकिन स्वास्थ में कोई लाभ नहीं मिला और काफी रुपये खर्च हो गए। जिसके चलते घर में आर्थिक संकट आ गया। फिर उन्हें गांव की आशा के जरिये सीएचसी की जानकारी मिली। जिसके बाद एक बार फिर वह इसके लिए तैयार हुई। गांव की आशा की सहायता से वह सीएचसी केन्द्र पहुंची जहाँ नए सिरे से इलाज शुरू हुआ। ललिता बताती हैं कि उनका छह माह तक नियमित इलाज चला। जिसके बाद दिसंबर 2023 में वह टीबी से मुक्त हो गईं। अब ललिता देवी अभियान चलाकर इसके प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं। अगर किसी को भी टीबी हो गई है तो कहाँ और कैसे इलाज करवाएँ इसकी जानकारी वह चौपाल के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रही हैं। ताकि कोई भी जानकारी के आभाव में टीबी जैसे रोग से ग्रसित न रहे।
ललिता देवी ने अब तक महिलाओं सहित नौ लोगों को पहुंचाया सीएचवी
ललिता देवी ने बताया कि सरकारी इलाज की जानकारी न होने कारण लोगों को सही इलाज नहीं मिल पाता है और लोग अन्य अस्पतालों में रुपये बर्बाद करते रहते हैं। ललिता देवी ने ठीक होने के बाद गांव की चार महिलाओं सहित नौ लोगों को सीएचवी पहुंचाया। जहाँ उन सभी का इलाज शुरु हुआ और वह सभी अब ठीक हैं। गजरौला ब्लाक में अब भी 400 एक्टिव मरीज गजरौला ब्लाक के अलग-अलग गांवों में वर्तमान समय में लगभग 400 टीबी के मरीज एक्टिव है। ये रोजाना सीएचसी से दवा प्राप्त कर इलाज करवा रहे हैं। उनके खाते में पौष्टिक आहार के लिए रुपये जा रहे है। जनवरी से अगस्त तक 120 मरीज टीबी से मुक्त हो चुके है।
ललिता देवी को स्वास्थ्य विभाग ने घोषित किया चैंपियन
गजरौला के टीवी विभाग के वरिष्ठ पर्यवेक्षक सुपरवाइजर नवनीत कुमार ने बताया कि ललिता देवी की मेहनत और लगन को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें चैंपियन घोषित किया है। उन्होंने गांव के कई रोगियों को सीएचसी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
गजरौला ब्लाक में सक्रिय है 25 चैंपियन
यूं तो गजरौला ब्लाक में 84 ग्राम पंचायते हैं लेकिन, वर्तमान में
25 ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य विभाग ने टीबी के चैंपियन बनाए हुए है। टीबी को जो लोग हरा चुके है उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा चैंपियन बनाया जाता है ताकि वह लोगों को अपनी कहानी के माध्यम से लोगों को प्रभावित कर सके और उनका सही इलाज हो सके। यही चैंपियन क्षय रोगियों और उनके परिवार को दवा के प्रति जागरूक करते हैं। ये टीबी चैंपियन अन्य रोगियों को उपचार, नियमित दवा व नियमित जांच के बारे में संपूर्ण
जानकारी भी देते हैं।