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संस्कृत भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है – दिनेश चंद्र जी

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विश्व हिन्दू परिषद के संस्कृत आयाम (भारत संस्कृत परिषद्) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित अखिल भारतीय शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन वसंत विहार स्थित ललित महाजन सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हुआ. वर्ग में नेपाल देश के साथ भारत के 14 प्रांतों – आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गोवा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश से 105 शिविरार्थी प्रशिक्षण लेने आए हैं.

वर्ग का उद्घाटन विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक और संस्कृत आयाम के पालक दिनेश चंद्र जी ने किया. उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है, इसके संरक्षण और संवर्धन से ही हम विश्व को शांति, संतोष और सौहार्द का संदेश दे सकते हैं. विहिप संस्कृत आयाम के माध्यम से देश के अंदर ही नहीं विदेशों में भी संस्कृत, कर्मकांड और पौरोहित्य के शिक्षण-प्रशिक्षण के अभियान में संलग्न है.

शिविर के सर्वाधिकारी और राष्ट्रीय संस्कृत आयाम प्रमुख प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय ज्ञान विधाओं के वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ उनको सहज सरल भाषा में सभी तक सुलभ करवाने के लिए आयाम प्रतिबद्ध है. वेद वेदांग, षडदर्शन और भारतीय ज्ञान परंपरा को समाज तक पहुंचाना हमारे आयाम का मुख्य ध्येय है. वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ इन्हें सहज सरल भाषा में सभी तक सुलभ करवाने हेतु देश के विभिन्न प्रांतों में प्रशिक्षित शिक्षक सरल संस्कृत के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा के अभियान को प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं. वर्ग में भारतीय ज्ञान विज्ञान के परम्परागत विषयों, संस्कृत व्याकरण और भाषा प्रयोग के साथ दैनिक शाखा, योग व्यायाम और वैचारिक बौद्धिक विषयों को समाहित किया गया है.

विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा ने कहा कि सनातन धर्म न केवल भारत देश की पहचान, अपितु  वैश्विक क्षितिज में यत्र- तत्र विद्यमान भारतवंशियों के गौरव् का प्रतीक है. देववाणी संस्कृत सनातन मूल्यों की संवाहक है. इसलिए हमारा ठोस प्रयत्न होना चाहिए कि हम संस्कृत को और अधिक सहज सरल एवं व्यावहारिक बनाएं.

विश्व हिन्दू परिषद् के सह संगठन महामंत्री विनायक राव देशपांडे ने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा होने के साथ कंप्यूटर के सर्वाधिक निकट भाषा भी है. हमारी सनातनता के प्रतीक आस्था के साथ विज्ञान सम्मत और प्रामाणिक भी हैं, जिन पर गहन शोध और विश्लेषण की आवश्यकता है. पूज्य अशोक सिंहल जी के समय से ही विहिप ने हिन्दू समाज में धर्म जागृति, अधिकार संरक्षण और सामाजिक समरसता का संकल्प लिया है, जिसमें अपेक्षित परिणाम मिले हैं.

वर्गाधिकारी प्रो. गणेश दत्त भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत भारत के सनातन गौरव की संवाहक है और अब समाज स्वयं इसके लिए आवाज उठा रहा है. वर्तमान हिंसक, भ्रष्ट, स्वार्थी और अवसरवादी युग में संस्कारित और मानवोचित जीवन व्यवहार जीने की सीख और ठोस मार्ग संस्कृत ही दिखा सकती है. संस्कृत के प्रशिक्षण हेतु देश के गांव-गांव और नगर-नगर तक प्रशिक्षक सुलभ करवाने का हमारा प्रयत्न है.

अखिल भारतीय शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि रूप में विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि संस्कृत को ‘डेड लैंग्वेज’ घोषित करवाने वाले अंग्रेज नहीं, बल्कि इस देश के सत्तासीन लोग ही थे. अब उस द्वेषभाव और दुराग्रह से बाहर निकलने का सुअवसर है. संस्कृत को भारत केंद्रित दृष्टि और हमारे विद्वानों एवं संस्कृत अनुरागियों को प्रतिबद्ध संस्कृत सैनिक बनकर अथाह परिश्रम करना होगा.


विहिप के संस्कृत आयाम के राष्ट्रीय संयोजक और वर्ग संचालक डॉ. सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि आयाम स्वर्गीय मोरोपंत पिंगले जी और विहिप के पर्याय पुरुष अशोक सिंहल जी की प्रेरणा से गेहे-गेहे संस्कृतम् के साथ ही अस्सी के दशक के आखिर से देश के नवनिर्वाचित सांसदों को संस्कृत भाषा में शपथ लेने का आग्रह करता रहा है. आयाम 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणाम के बाद 18वीं लोकसभा के लिए नवनिर्वाचित सांसदों से भी संस्कृत भाषा में शपथ लेने हेतु अभियान चलाएगा.