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इस शख्स ने दस हजार से ज्यादा पुस्तकों के समावेश कर घर को बना दिया शोधालय

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प्राचीन साहित्यकारों की पुस्तकें पढ़ने और घर में रखने की इच्छा कुछ विशेष लोगों की ही होती हैं. ऐसी ही पीतल नगरी मुरादाबाद के 59 वर्षीय डॉ. मनोज रस्तोगी है. जिन्होंने अपने घर में दुर्लभ साहित्यिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संजोकर रखा हुआ है. सोशल मीडिया व अपने विभिन्न आलेखों के माध्यम से वे इसे देश-विदेश में उजागर कर रहे है.

2021 में उन्होंने अपने आवास में ‘साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय’ की विधिवत स्थापना की थी. शोधालय में भारतेंदु युग के अनेक साहित्यकारों की लाला शालिग राम वैश्य, पं. ज्वाला प्रसाद मिश्र, पं. बलदेव प्रसाद मिश्र, पं. कन्हैया लाल मिश्र की 125 वर्ष पूर्व की कृतियों का उल्लेख हैं. इसी के साथ-साथ मुरादाबाद के ही प्रख्यात साहित्यकारों दुष्यंत कुमार, हुल्लड़ मुरादाबादी, माहेश्वर तिवारी, दुर्गादत्त त्रिपाठी सहित आज के अनेक साहित्यकारों की कृतियों का समावेश हैं.

इस शोधालय में मुरादाबाद से प्रकाशित पत्र-पत्रिकाएं, स्मारिकाएं, कॉलेज मैगजीन की प्रतियां भी मिल जाएगीं. यदि 20 वर्ष पुराना कोई समाचार-पत्र आपको पढना हो तो वः भी आपको यहां पर मिल जाएगा. डॉ. मनोज रस्तोगी यह बताते है कि शोधालय में मुरादाबाद मंडल की हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और संस्कृत की अनेक पुस्तकों समावेश हैं. उनका प्रयास है कि मंडल का सम्पूर्ण साहित्य शोधालय में संरक्षित हो सके. वे आगे कहते है कि उन्हें इसमें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है.

प्राचीन साहित्यकारों व कहानीकारों की पुस्तकों पर शोध कार्य किये जाते रहतें हैं. इसकी मदद से उनके बारे में जानने का अवसर भी मिलता हैं. प्राचीन साहित्यकारों की रचनाएं अक्सर बच्चों की किताबों में भी प्रकाशित की जाती हैं.