- राज्य में करीब 500 जलस्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं
- जबकि 1200 जल स्रोतों में 60% से अधिक पानी सूख चुका है
उत्तराखंड। उत्तराखंड में "जल के लिए चल अभियान" के तहत जल संरक्षण के लिए अब तक 4,000 से अधिक जलकुंड बनाए जा चुके हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जल संकट को कम करना और जल के महत्व को समझाना है। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जल स्रोतों की कमी के कारण, खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में पानी की कमी गंभीर समस्या बन गई है। रिपोर्टों के अनुसार, राज्य में करीब 500 जलस्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं, जबकि 1200 जल स्रोतों में 60% से अधिक पानी सूख चुका है।
इस अभियान के तहत, द्वारिका प्रसाद सेमवाल जैसे समाजसेवी और जल संरक्षण के हिमायती जलकुंडों का निर्माण करा रहे हैं। स्थानीय लोग भी इसमें सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं, और यह अभियान जल संकट को सुलझाने के साथ-साथ समुदाय के बीच जल संरक्षण की जिम्मेदारी को भी फैलाने का काम कर रहा है।
यह पहल जल संकट के बढ़ते खतरे को देखते हुए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो रही है, क्योंकि सूखा और जल की कमी राज्य के कई हिस्सों में खासकर मैदानी इलाकों में देखने को मिल रही है। उत्तराखंड में गहरे जल संकट से निपटने के लिए ऐसी पहलें अत्यंत आवश्यक हैं।