प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया.
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने एक रिट याचिका में यह फैसला सुनाया, जिसमें मदरसा बोर्ड और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा मदरसों के प्रशासन के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी, जिसमें भारत संघ और राज्य सरकार दोनों शामिल थे. मामले में सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने 8 फरवरी को निर्णय सुरक्षित रख लिया था.
अंशुमान सिंह राठौड़ द्वारा दायर याचिका में यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 और बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2012 के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी गई थी.
पिछली सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने राज्य के शिक्षा विभाग के बजाय अल्पसंख्यक विभाग के दायरे में मदरसा बोर्ड के संचालन के पीछे तर्क के बारे में केंद्र और राज्य सरकार दोनों को निर्देशित कर जानकारी मांगी थी.
इसके अलावा, न्यायालय ने मनमाने ढंग से निर्णय लेने के संभावित उदाहरणों के बारे में आशंका व्यक्त की थी और शैक्षणिक संस्थानों के प्रबंधन में पारदर्शिता के महत्व पर बल दिया था.