अयोध्या।
अयोध्या में रामलला के विराजमान होने के बाद यह पहली दीपावली है। दीपावली को खास बनाने के लिए अयोध्या में इस वर्ष दीपोत्सव के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं, जिसमें कुम्हारों की पारंपरिक कला को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। इस आयोजन के लिए 12 गांवों में कुल 12 लाख मिट्टी के दीये तैयार किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश के 10 जिलों के कुम्हारों को 35 लाख दीयों का ऑर्डर दिया गया है। इस कदम से न केवल दीपोत्सव को भव्यता मिलेगी, बल्कि स्थानीय कुम्हारों को भी एक बड़ा आर्थिक सहारा मिलेगा।
दीयों की विशाल मांग-
अयोध्या दीपोत्सव के दौरान इस बार 12 लाख दीयों का उपयोग किया जाएगा, जो 12 गांवों के कुम्हारों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। यह दीये दीपोत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए राम की पैड़ी, सरयू तट, और अन्य प्रमुख स्थलों पर जलाए जाएंगे।
कुम्हारों को आर्थिक सहारा-
10 जिलों के कुम्हारों को 35 लाख दीयों का ऑर्डर दिया गया है। यह ऑर्डर सीधे कुम्हारों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकारी और निजी संस्थानों के सहयोग से कुम्हारों को दीयों की आपूर्ति के लिए आवश्यक कच्चा माल और संसाधन भी मुहैया कराया जा रहा है।
पर्यावरण अनुकूल दीपावली-
इस पहल का उद्देश्य प्लास्टिक या बिजली से चलने वाले दीयों की जगह पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी के दीयों को बढ़ावा देना है। यह न केवल पर्यावरण की दृष्टि से अच्छा है बल्कि पारंपरिक भारतीय संस्कृति को भी आगे बढ़ाने का एक प्रयास है।
कुम्हारी कला का पुनर्जागरण-
इस तरह के बड़े ऑर्डर्स और कार्यक्रमों से कुम्हारी कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। कई कुम्हार जो पहले इस व्यवसाय को छोड़ चुके थे, वे अब पुनः इस काम में जुट गए हैं। यह पहल न केवल उनके हुनर को मान्यता दे रही है बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी इस पारंपरिक कला के प्रति आकर्षित कर रही है।
आयोजन का महत्व-
अयोध्या का दीपोत्सव अब वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन के रूप में देखा जा रहा है। इस अवसर पर लाखों दीये जलाए जाते हैं, जो भगवान राम के अयोध्या लौटने की स्मृति में आयोजित किए जाते हैं। हर साल यहां भव्य कार्यक्रम होते हैं, जिसमें लाखों श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेते हैं।
सरकारी प्रयास-
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार कुम्हारों के हित में कई योजनाएं भी चलाई हैं, जिसमें उन्हें मिट्टी, चाक और अन्य संसाधनों की आपूर्ति की जा रही है ताकि वे बिना किसी परेशानी के दीयों का उत्पादन कर सकें। इस तरह की योजनाएं 'माटी कला बोर्ड' जैसी संस्थाओं के माध्यम से लागू की जा रही हैं, जो कुम्हारों को सही मूल्य और काम का सम्मान दिलाने का प्रयास करती हैं।
इस प्रकार, अयोध्या दीपोत्सव इस बार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह ग्रामीण कुम्हार समुदाय के लिए भी एक बड़ी आर्थिक सहायता साबित हो रहा है। सरकार की इस पहल से न केवल दीयों की मांग बढ़ी है, बल्कि कुम्हारी कला को भी नया जीवन मिला है, जिससे कुम्हारों के परिवारों को बेहतर भविष्य मिल सकेगा।