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भाला फेकने से पहले बजरंग बली की जय बोलते हैं नीरज चोपड़ा

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 लखनऊ। 

नीरज चोपड़ा, जो भारत के महान एथलीट और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। उन्होंने हाल ही में अपने एक साक्षात्कार में बताया कि वे हर बार भाला फेंकने से पहले "बजरंग बली की जय" का उद्घोष करते हैं। नीरज ने कहा कि यह उनकी एक परंपरा या आदत बन चुकी है, जिससे उन्हें मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है। 

धार्मिक आस्था-

नीरज चोपड़ा ने कहा कि बजरंग बली (हनुमान जी) में उनकी गहरी आस्था है, और वे हर प्रतियोगिता से पहले उनके नाम का स्मरण करते हैं। इससे उन्हें प्रेरणा मिलती है और वे खुद को मानसिक रूप से मजबूत महसूस करते हैं।

मानसिक तैयारी-

नीरज के अनुसार, यह उनके लिए एक प्रकार की मानसिक तैयारी का हिस्सा है। किसी भी प्रतियोगिता या चुनौती का सामना करने से पहले बजरंग बली की जय का उद्घोष करने से उन्हें शांति और आत्मविश्वास मिलता है।

संस्कृति और परंपरा-

नीरज का यह कदम भारतीय संस्कृति और धार्मिक विश्वासों को दर्शाता है, जिसमें आस्था और शक्ति की प्राप्ति के लिए भगवान का स्मरण करना आम बात है। यह उनके व्यक्तित्व के उस पहलू को भी उजागर करता है, जिसमें वे अपने पारंपरिक मूल्यों को महत्व देते हैं।

नीरज चोपड़ा ने खेल के मैदान में अपने शानदार प्रदर्शन से भारत का नाम रोशन किया है, और उनके इस विश्वास ने उनके व्यक्तित्व की एक और महत्वपूर्ण विशेषता को उजागर किया है।

मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास-

नीरज चोपड़ा जैसे उच्च स्तर के एथलीटों के लिए मानसिक तैयारी बेहद महत्वपूर्ण होती है। "बजरंग बली की जय" कहने से नीरज के भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो उन्हें तनाव और दबाव से निपटने में मदद करती है। यह एक तरह की मानसिक रणनीति है जो उन्हें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में शांत और आत्मविश्वासी बनाए रखती है।


 प्रेरणा और साहस का प्रतीक-

हनुमान जी को साहस, भक्ति और अनुकूल परिस्थितियों में अदम्य शक्ति के रूप में देखा जाता है। नीरज चोपड़ा उनके नाम का उद्घोष करके अपने भीतर वही साहस और आत्मविश्वास जगाते हैं। इस उद्घोष के माध्यम से वह खुद को प्रेरित करते हैं कि वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक।

भारतीय संस्कृति और परंपरा-

भारतीय संस्कृति में देवताओं का आह्वान किसी कार्य को शुरू करने से पहले एक सामान्य परंपरा है। नीरज चोपड़ा भी इस परंपरा का पालन करते हैं और इससे उन्हें मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन मिलता है। हनुमान जी का नाम विशेष रूप से साहस और शक्ति का प्रतीक है, इसलिए यह नीरज की खेल भावना को और मजबूत बनाता है।

परंपरा या आदत-

नीरज के लिए "बजरंग बली की जय" एक परंपरा बन चुकी है। यह एक प्रकार की आदत है जिसे उन्होंने आत्मसात कर लिया है। बार-बार इसका उपयोग करने से यह उनके लिए एक सकारात्मक मानसिक संकेत बन गया है, जिससे उनका ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है।


विश्वास और सफलता का संबंध-

नीरज चोपड़ा की सफलता में उनके व्यक्तिगत विश्वास का भी बड़ा योगदान है। हनुमान जी का नाम लेकर वे अपनी पूरी ऊर्जा और ध्यान अपने खेल में लगा पाते हैं, और यह उनके प्रदर्शन में सुधार का एक महत्वपूर्ण कारक है।