संघ संस्मरण
8 मई 1974 को वसंत व्याख्यानमाला पर बालासाहब ने बड़ी स्पष्टता से कहा, “हमें यह मानना ही पड़ेगा कि छुआछूत एक बड़ा अभिशाप है तथा हमें इसे दूर करने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए।” जातिवाद की धज्जियां उड़ाते हुए उन्होंने बड़ी वीरता से घोषणा की, ''छुआछूत एक अभिशाप है। इसे यहाँ से पूरी तरह जाना होगा।” उन्होंने अब्राहम लिंकन को उद्धृत करते हुए कहा, “लिंकन ने कहा था कि अगर गुलामी अनैतिक या गलत नहीं है, तो फिर कुछ भी गलत नहीं है। हमें भी कहना चाहिए, ‘अगर छुआछूत गलत नहीं है तो फिर कुछ भी गलत नहीं है’।”
।। 5 सरसंघचालक, अरुण आनंद, प्रभात प्रकाशन, प्रथम संस्करण-2020, पृष्ठ-121 ।।