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बच्चे अब क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ सकेंगे रोचक कहानियां

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पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियां बच्चों के दिल और दिमाग पर गहरा प्रभाव डालती है. कहानियों से वें नई नई बातों को सीखते हैं और यदि कहानियां अपनी भाषाओँ में पढ़ी जाए तो वो उनके लिए बहुत ही लाभदायक होती हैं. इसी प्रयास के साथ ही देहरादून के एवं शोध केंद्र में बाल वाचनालय का शुभारम्भ किया गया है. इसमें बच्चों को जौनपुरी, गढ़वाली के साथ ही हिंदी और अंग्रेजी की पुस्तकें पढने का अवसर प्राप्त होगा.

केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि क्षेत्रीय भाषा को समृद्ध करने के साथ साथ बच्चों को अन्य गतिविधियों में भी शामिल करने के लक्ष्य के साथ यह बाल पुस्तकालय खोला गया हैं. इसमें 1 हजार से अधिक किताबों का समावेश किया गया हैं. इन पुस्तकों में जॉन सायर की क्लासिक्स कहानी, हैरी पोटर की श्रृंखला के साथ प्रेमचन्द व आनंद के प्रसिद्ध लेखकों की कहानियों का योग मिलेगा.

बाल पुस्तकालय की दीवारों पर बच्चों की चित्रावली को भी दर्शाया गया है. इसमें सिर्फ 7 से 15 की आयु वाले बच्चे ही शामिल हो सकेंगे. इसकी वार्षिक सदस्यता 100 रूपए और आजीवन सदस्यता मात्र 500 रूपए तक की होगी. बहुत जल्द ही इसमें बच्चों के लिए संगीत सत्र, फिल्म प्रदर्शन, भाषा सीखने की कार्यशाला और क्विज जैसे अनेक कार्यक्रमों का आरम्भ किया जाने वाला हैं.

बाल पुस्तकालय के माध्यम से बच्चें नई-नई रोचक कहानियां अपनी भाषा पढ़ पाएंगे. इससे उन्हें नई एवं महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हो सकेंगी. इस से में उनका विकास भी तीव्र गति से हो सकेगा.