• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

दही, दूध, घी से तैयार देसी ब्यूटी प्रोडक्ट, विदेशों में बढ़ी माँग

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

गुजरात 

गुजरात की यशस्वी के ब्यूटी प्रोडक्ट्स ने कानपुर मेले में धूम मचा दी। आज जब केमिकल से भरे ब्यूटी प्रोडक्ट्स स्किन और स्वास्थ्य को गहरा नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में गुजरात के एक छोटे से गाँव की यशस्वी ने ऐसा कमाल कर दिखाया कि अब महिलाओं को केमिकल युक्त सौंदर्य प्रसाधनों की जगह देसी प्रोक्ट्स का बेहतरीन ऑप्शन मिल गया है।

यशस्वी दूध, दही, घी, नीम और गुड़हल के फूल-पत्तियों से ब्यूटी प्रोडक्ट बना रही हैं। प्राकृतिक वस्तुओं से तैयार इन प्रोडक्ट की विदेशों तक माँग है। 


यही वजह है कि जब यशस्वी अपने देसी ब्यूटी प्रोडक्ट लेकर कानपुर के हस्तशिल्प क्राफ्टरूट्स मेले में पहुँची, तो उन्हें काफी सराहना और प्रोत्साहन मिला।उनके स्टॉल से आती देसी महक लोगों को न केवल खींच लाती बल्कि प्राकृतिक सामग्री की विशेष झलक भी देखने को मिलती। एक साधारण गाँव की युवती से वे उद्यमी बनने की कहानी सुनाते हुए उन्होंने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वह विदेश चली गईं। इस दौरान आधुनिक तकनीक और प्रोडक्ट डेवलपमेंट से जुड़ी कई बारीक चीजों के बारे में भी जानकारी हासिल की। शुरू से ही उनके मन में यह इच्छा थी, कि वह अपना जीवन आराम और सुकून से एक प्राकृतिक वातावरण के बीच बिताएं। यही, सोचकर करीब 5 साल पहले वह गाँव पहुंचीं। यशस्वी बताती हैं,कि हमने महसूस किया कि ग्रामीण महिलाएं संसाधनों के अभाव की वजह से रोजगार नहीं कर पातीं। 


यशस्वी ने गांव में ही रहकर महिलाओं के साथ मिलकर धीरे-धीरे प्रोडक्ट बनाने शुरू किए। सबसे पहले उन्होंने नेचुरल साबुन और टूथपेस्ट पाउडर तैयार किया। इसे अपने घरवालों और दोस्तों को इस्तेमाल करने के लिए दिया। लोगों को यह प्रोडक्ट अच्छे लगेतो उन्होंने यह प्रोडक्ट्स बनाने शुरू किए और धीरे-धीरे इनकी डिमांड बढ़ने लगी।अब तो ऑनलाइन ऑर्डर भी मिलने लगे हैं। जब धीरे-धीरे उनके उत्पादों की चर्चा गांव और आसपास के इलाके में होने लगी। तब गांव की 15-20 महिलाओं को अपने साथ जोड़ लिया। इनके साथ ही मिलकर उन्होंने उत्पादन के काम को और तेज कर दिया। उद्यम को लेकर यशस्वी ने तीन बातों को प्राथमिकता दी -


पहली- प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर स्वास्थ्यवर्धक प्रोडक्ट तैयार करना।

दूसरी- गाँव का पैसा गाँव में रहे, इसके लिए गाँव की हीप्राकृतिक चीजोंका इस्तेमाल करना।

तीसरा- देसी प्रोडक्ट को शहरी बाजारों तक पहुँचाना

यशस्वी के इन विचारों में दूरदर्शिता के साथ-साथ अपने स्व..अपनी माटी के प्रति अपनत्व और प्रेम का भाव निहित है और यही सोच विकसित भारत के निर्माण में सहायक भी।