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डिजिटल नवोत्थान: साइबर सुरक्षा की चुनौतियां

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डिजिटल नवोत्थान: साइबर सुरक्षा की चुनौतियां 

आज भारत विश्व पटल पर अपने ज्ञान और कौशल का परचम लहराने में सफल हो रहा है लेकिन जितनी तेजी से देश दुनिया में डिजिटल क्रांति का विस्तार हो रहा है उतना ही तेजी से साइबर अपराध और साइबर अटैक के मामले बढ़े हैं। भारत ने हर क्षेत्र में दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की है चाहे वह सामाजिक क्षेत्र हो, या आर्थिक, वैश्विक, सामरिक, राजनीतिक, कूटनीतिक, रक्षा, सांस्कृतिक या वैचारिक क्षेत्र हो। दुनिया का हर देश आज इसकी खुलकर सराहना ही नहीं कर रहा अपितु हमारे साथ सभी दृष्टिकोण से अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में तत्पर है। आज चाहे इंटरनेट का क्लाउड स्पेस हो या उपग्रह स्पेस, भारत के वैज्ञानिक, आई टी इंजीनियर्स, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर प्रोग्रामर हों, दुनिया भर में इन सभी ने अपने तकनीकी कौशल की धमक से लोगों को उत्साहित किया है। भारत लगातार हर क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता को बढ़ा रहा है। आज भारत के युवा जल-थल से लेकर नभ तक विकास की एक नई मिसाल प्रस्तुत कर रहे हैं। भारत की राजनीतिक, कूटनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का लोहा आज दुनिया भर में चर्चा में है। आज विश्व के सभी सम्मेलनों में भारत को लोग गंभीरता से सुनते हैं। हालाँकि यह मानने में कोई गुरेज नहीं है कि जिस तरह से भारत में तेजी के साथ डिजिटल क्रांति बढ़ी है उस गति से साइबर सुरक्षा पर काम नहीं हुआ है यह चिंतन का विषय है। अगर हम इसी वर्ष यानी 2025 के आकड़े लें तो स्थितियां स्पष्ट हो जाती हैं। एक बार गौर से इन आंकड़ों पर नज़र डालेंगे तो आपको साइबर सुरक्षा के अपराध का पता चलेगा।

अब तक इस साल 2025 में हमारे देश में साइबर अपराध के मामले 25 लाख के करीब हो गए हैं। 2025 में, भारत में वर्ष की पहली छमाही में 2.18 लाख B2B स्पाइवेयर हमले, 23 लाख वेब-आधारित हमले और 1.11 लाख पासवर्ड चुराने वाले मैलवेयर की घटनाएं हुईं, जो 2024 की तुलना में काफी बढ़ गई हैं। इसी अवधि में शोषण के प्रयास 7.34 लाख से ज्यादा हो गए हैं। अगर हम पैसे की धोखाधड़ी की बात करें तो अबतक लगभग 22,845 करोड़ रुपये तक नुकसान पहुंच चुका है। 

भारत के कई क्षेत्रों में प्रमुख साइबर हमले और उनकी घटनाओं की रिपोर्ट्स-

लिसिएंथस टेक्नोलॉजीज के क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर साइबर थ्रेट रिव्यू 2025 के अनुसार, भारत में 2024 में लगभग 22,68,000 साइबर अपराध की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे वित्तीय नुकसान साल-दर-साल 206 प्रतिशत बढ़कर 22,845 करोड़ रुपये हो गया। 2025 में राज्य-प्रायोजित, हैकटिविस्ट और आर्थिक रूप से प्रेरित हमलों का मिश्रण देखा गया है। इन प्रमुख घटनाओं में शामिल हैं-

* हैकटिविस्टों द्वारा DDoS (डिस्ट्रीब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस) में वृद्धि 73 लाख से ज्यादा DDoS हमलों ने भारतीय बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाया, जिनमें BondowosoBlackHat और Z-BL4CK-H4T जैसे समूहों ने राष्ट्रीय आयोजनों (जैसे, स्वतंत्रता दिवस) के आसपास 200 से ज्यादा हमले किए। जिसमें कई क्षेत्र प्रभावित हुए और इनको प्रेरणाएँ भी अलग स्रोतों से मिली। जिसके विवरण इस प्रकार हैं।

* हमलों की प्रेरणाओं के स्रोत: 65.5 प्रतिशत फिलिस्तीन समर्थक, 13.3 प्रतिशत धार्मिक विचारधाराएँ, 12.6 प्रतिशत भारत विरोधी भावनाएँ।

* प्रभावित क्षेत्र: सरकार, शिक्षा, तकनीक (जैसे, मई महीने में किशोरों के नेतृत्व वाले ‘एनोनसेक’ समूह द्वारा 50 से ज्यादा समन्वित हमले)।

* दूरसंचार और खुदरा क्षेत्र में डेटा उल्लंघन: BSNL ने Laravel की कमजोरियों के ज़रिए लाखों लोगों का डेटा (आधार, ईमेल, पते) उजागर किया; अपने देश की ही एक प्रमुख भारतीय उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनी ने फ़रवरी में 75 लाख ग्राहकों के रिकॉर्ड (नाम, पते, खरीद इतिहास) लीक किए। हैथवे केबल उल्लंघन से 4.1 करोड़ उपयोगकर्ता प्रभावित हुए, जिनमें से 12 जीबी डार्क वेब पर लीक हो गया।

* रैंसमवेयर और मैलवेयर अभियान: 78 प्रतिशत संगठनों को रैंसमवेयर का सामना करना पड़ा (औसत 66 प्रतिशत से ऊपर), ।प्-संचालित फिशिंग घोटाले, बैंकों/वित्तीय प्रौद्योगिकी को प्रभावित कर रहे थे। फार्मा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों ने COVID के बाद डिजिटल बुनियादी ढाँचे की कमजोरियों में वृद्धि की सूचना साझा की ।

* भू-राजनीतिक और क्षेत्र-विशिष्ट हमले: पड़ोसी देशों द्वारा राज्य-प्रायोजित मामलों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाया (जैसे, लद्दाख तनाव का फैलाव) गया। एयरबस सॉफ़्टवेयर समस्याओं ने संभावित रूप से एयर इंडिया को प्रभावित किया जो इन क्षेत्रों के लिए साइबर युद्ध का संदेश था। इसी तरह दिल्ली के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा संस्थान एम्स (AIMS) को बार-बार रैंसमवेयर का सामना करना पड़ा।

* वित्तीय क्षेत्रों में 77 प्रतिशत अपराध फिशिंग के रूप में देखे गए जो 2020-2023 का चरम था।

हाल ही में उभरे खतरों की कुछ प्रमुख घटनाओं का विवरण: शाइनीहंटर्स ने गैन्साइट OAuth (भारत-एक्सेस्ड डेटा) के माध्यम से सेल्सफोर्स का उल्लंघन किया गया।  एंड्रॉइड उपयोगकर्ताओं से संक्रमित ऐप्स को हटाने का आग्रह किया गया। साइबर धोखाधड़ी सिंडिकेट ने जबरन वसूली के लिए आतंकवादी घटनाओं (जैसे, पहलगाम हमला) का फायदा उठाया, जिसके कारण भोपाल के एक वकील ने आत्महत्या कर ली। हालाँकि अगर डिजिटल क्षेत्र के विकास की बात करें तो पाएंगे भारत डिजिटलीकरण के मामले में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा देश है। डिजिटल अर्थव्यवस्था से, 2024 में भारत की जीडीपी में 7.3 प्रतिशत का योगदान रहा है। शिक्षा और ऑनलाइन इकॉनमी क्षेत्र में कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल क्रांति भारत में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में उभरी। आज भारत में छोटा से छोटा व्यापारी, रेहड़ीवाला भी UPI के जरिए डिजिटल लेनदेन पर भरोसा कर रहा है। यह इसलिए भी तेजी से बढ़ा क्यों कि यहाँ इंटरनेट सुविधा आसानी से उपलब्ध है। अगर इंटरनेट की बात करें तो इजराइल और इटली के बाद भारत में सबसे सस्ते दरों में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। सस्ते तकनीकी और इंटरनेट की वजह से आज भारत डिजिटल सामग्री निर्माण के क्षेत्र में विश्व पटल पर तेजी से उभर रहा है और यदि आकड़ों की बात करें तो इस समय हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा कांटेंट क्रिएटर बन गया है। और यह भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। 

भारत सरकार की पहल डिजिटल इंडिया का देश में सामग्री निर्माण के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में अप्रतिम भूमिका रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है साल 2035 तक, भारत दुनिया का सबसे बड़ा कांटेंट क्रिएटर बेस बन जाएगा जो हमारी अर्थव्यवस्था को एक बड़ी उछाल दे सकता है। अब हमे जरूरत है अपने साइबर सुरक्षा को अधिक मजबूत करने और आत्मनिर्भर बनाने की। सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने साइबर अपराध को रोकने एवं सुरक्षा देने के लिए कई महत्वपूर्ण टास्क फोर्स गठित किए हैं और तेज गति से इस पर काम भी चल रहा है जैसे - राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (NCSP), भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (I4C),भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, हेल्प लाइन नंबर 1930, महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (NCIIPC), जागरूकता अभियान /cyberDost, संचारसाथी आदि। राष्ट्रीय मीडिया चैनलों, अखबारों, टीवी कार्यक्रमों एवं सोशल मीडिया पर भी सरकार द्वारा डिजिटल अरेस्ट, बैंकिंग धोखाधड़ी, डिजिटल ट्रांजेक्शन के प्रति जागरूक और आगाह करने के लिए विज्ञापन के जरिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। हमे ऐसी गतिविधियों से सावधान रहने के तरीकों को आत्मसात करने और चौकन्ना रहने की ज़रूरत है तभी हम साइबर अपराध पर पूर्णतः अंकुश लगा पाएंगे।


लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय मेंं सहायक प्रोफेसर है।