देहरादून। भारत वर्ष सनातनियों का मूल निवास स्थान है और यहाँ रहने वाले सभी लोग सनातनी हैं। यहाँ के लोगों का खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा और संस्कृति क्षेत्र के अनुसार विभिन्न रूपों में देखने को मिलती है जो सनातन संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है। और यह विशेषता विभिन्न क्षेत्रीय सांस्कृतिक त्योहारों के रूप में स्पष्ट देखी जा सकती है। परंतु बदलते समय के साथ युवा पीढ़ी का विदेशी परंपराओं की ओर रुझान बढ़ता जा रहा है, जिसे रोकने और अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपने अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही काम उत्तराखण्ड के देहरादून में भी हो रहा है।
दरअसल वीर गोरख कल्याण समिति 2017 से देहरादून में तीन
दिवसीय गोरखा
दशैं दिवाली महोत्सव का आयोजन करती है। इस वर्ष इसका आयोजन 18 से
20 अक्टूबर तक देहरादून के गढ़ी कैंट स्थित महेंद्र ग्राउंड में कराया गया। आयोजन
के दौरान गोरखाली संस्कृति की झलक दिखी, साथ ही गढ़वाली और कुमाऊंनी संस्कृति की
प्रस्तुतियाँ भी देखने को मिलीं।
समिति के अध्यक्ष कमल थापा ने बताया कि हमारी युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर न झुककर अपनी संस्कृति, खान-पान और वेशभूषा को जाने इसके लिए प्रति वर्ष इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है। उनहोंने कहा कि हम इस कार्यक्रम के माध्यम से अपनी संस्कृति को गुलदस्ते की तरह पिरोने का प्रयास कर रहे हैं।
आयोजन के दौरान गोरखाली
संस्कृति के साथ-साथ गढ़वाली और कुमाऊंनी संस्कृति से जुड़े विभिन्न राष्ट्रीय एवं
अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों का प्रदर्शन किया। साथ
ही यहाँ विभिन्न प्रकार के स्टॉल्स के साथ लघु बाजार भी लगाया गया, जहाँ से लोगों
ने गोरखाली संस्कृति से जुड़े ज्वैलरी और अन्य सांस्कृतिक परिधानों की जमकर
खरीदारी की। इसके अलावा आगंतुकों ने यहाँ सेलरोटी और भूटवा जैसे
गोर्खाली व्यंजनों का भी लाभ उठाया।
वीर गोरख कल्याण समिति अपनी संस्कृति के संरक्षण कार्यों के साथ-साथ विभिन्न
प्रकार के जनकल्याणकारी कार्य भी करती है।