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हिमालय की रक्षा के लिए गांवों का सम्पन्न होना अत्यंत आवश्यक

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हिमालय को सुरक्षित रखने के लिए सरकार की ओर से अनेक प्रयास किए जाते रहते हैं. इसी तरह से देहरादून के युकास्ट में आयोजित कार्यक्रम में हिमालय संरक्षण के छटे दिन उच्च शिक्षा के उपनिदेशक डॉ. प्रमोद डोबरियाल द्वारा कुछ बातें कही गई, हिमालय का संरक्षण तब तक संभव नहीं होगा, जब तक हमारे गांव आबाद नहीं होंगे. बंजर हो रहे खेतों को खेती की आवश्यकता हैं, ताकि हम पर्यावरण के अनुसार ही वैज्ञानिक खेती को बल दे सकें.

आपको बता दें कि शनिवार को उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी में आयोजित किये गए इस जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य विषय ‘हिमालय नॉलेज सिस्टम’ रहा था. कार्यक्रम के निदेशक डॉ. दुर्गेश पंत का कहना है कि हिमालय सिर्फ पर्वत श्रृंखला ही नहीं बल्कि यह तो हमारे अस्तित्व की पहचान है. विश्विद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर एसपी सिंह बताते है कि सम्पूर्ण विश्व का अस्तिव बचाने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का मजबूत होना बहुत आवश्यक है.

पद्मश्री कल्याण सिंह रावत हिमालय को हमारी सांस्कृतिक विरासत बताते है. प्रोफेसर जीएस रजवार ने हिमालय के संरक्षण के लिए वेदों को आवश्यक बताया है. लेखिका कमला पंत कहती है कि अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलावों से हिमालय के संरक्षण में एक कदम उठाकर लोगों को जागरूक बनाया जा सकता है. कार्यक्रम में शिक्षा तकनीक व विज्ञान के विषयों पर विभिन्न लोगों पुरस्कार दिए गए. कार्यक्रम का समापन संयुक्त निदेशक डीपी उनियाल ने किया.

हिमालय की सुरक्षा के लिए हमें भी आगे बढकर अपना सहयोग देना होगा. इसी के साथ-साथ अन्य लोगों को भी जागरूक कराना होगा. अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए हमे भी कार्य कार्य करना होगा.