नई दिल्ली. दशकों से माओवादी आतंक से पीड़ित बस्तरवासियों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिला और अपनी समस्याओं को साझा किया. बस्तर शांति समिति के तत्वाधान में आए प्रतिनिधिमंडल में 50 से अधिक पीड़ित शामिल थे, जिन्होंने गृहमंत्री को अपने अनुभवों को बताया.
पीड़ितों ने अमित शाह के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त की और बताया कि कैसे माओवाद ने बस्तर में उनके जीवन को नर्क बना दिया है.
3 वर्ष की आयु में माओवादी हिंसा की शिकार हुई राधा सलाम ने बताया कि इस हमले के कारण अब वह एक आंख से देख नहीं पाती हैं.
इसी तरह, सियाराम रामटेके ने बताया कि उन्हें माओवादियों ने खेत में काम करने के दौरान गोली मारी थी, जिसके चलते अब उनकी छाती से नीचे का शरीर काम नहीं करता.
गृहमंत्री अमित शाह ने पीड़ितों की बात सुन आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाएगा और जल्द ही नक्सल समस्या का समाधान होगा.
उन्होंने आश्वस्त किया कि मार्च 2026 तक बस्तर पूरी तरह से नक्सलवाद मुक्त हो जाएगा. साथ ही, अप्रत्यक्ष रूप से अर्बन नक्सलियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अब दिल्ली में पीड़ितों की बात सुनने के बाद कुछ लोगों की आंखें खुल सकती हैं.
प्रतिनिधिमंडल ने गृहमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें बस्तर को नक्सल मुक्त करने और वहां शांति बहाल करने की मांग की गई है.
ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले चार दशकों से बस्तर माओवादी आतंक का शिकार हो रहा है, जिससे बस्तरवासियों का जीवन और आजीविका दोनों बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. पीड़ितों ने गृहमंत्री से अपील की कि बस्तर की भूमि को माओवाद से पूरी तरह मुक्त करवाया जाए और वहां की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को बचाया जाए. बस्तर बूढ़ा देव और माँ दंतेश्वरी की भूमि है, जिसे लाल आतंक से मुक्त करवाना आवश्यक है.