चारधाम यात्रा में जा रहे हैं रखना होगा सफाई का ध्यान
-प्रदूषण बोर्ड का है यात्रा को प्लास्टिक मुक्त बनाने का लक्ष्य
- श्रद्धालुओं की भी हो सकेगी भागीदारी
बनाए जा रहे हैं कलेक्शन सेंटर
यात्रियों ने प्लास्टिक खरीदा भी है तो प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने स्थान पर दुकान में वापस करने के लिए कलेक्शन सेंटर बनाए जा रहे हैं। इसके लिए बोतलों मे क्यूआर कोड लगाए जाते हैं। खाली बोतल वापस देने के बदले यात्रियों को दस रुपये वापस किए जाते हैं। इसका बीते वर्षों में काफी लाभ मिला है।
प्रतिबंध है पॉलीथिन का प्रयोग
यात्रा मार्ग से लेकर पर्यटन स्थलों में प्लास्टिक के निस्तारण के लिए लगातार कमद उठाए जा रहें हैं। यात्रा में पॉलीथिन का प्रयोग प्रतिबंधित हैं। बाकी प्लास्टिक के निस्तारण को हर धाम पर प्लास्टिक कंपेक्टर व बेलर लगाए जा रहे हैं, जो प्लास्टिक बोतल व सिंगल यूज प्लास्टिक को दबाकर काम्पेक्ट करते हैं। इस प्लास्टिक का दोबारा अन्य कार्य में इस्तेमाल किया जा सकता है।
कूड़े को कर रहें हैं रिसाइक्लिंग
स्थानीय दुकानदारों को भी प्लास्टिक के कम प्रयोग के लिए जागरूक किया जा रहा है। साथ ही यात्रा में जगह-जगह कूड़ेदान रखे जा रहें हैं। कूड़े को रिसाइक्लिंग के लए विभिन्न केंद्रों में भेजा जा रहा है।
कचरे के निस्तारण का है प्रभावी कदम
विशेष सचिव मुख्यमंत्री पराग मधुकर धकाते का कहना है हरित चारधाम यात्रा के लिए प्लास्टिक कचरे का निस्तारण के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। इसके लिए श्रद्धालुओं को जागरूक करने के साथ उन्हें कपड़े के थैले भी दिए जाएंगे।
जुर्माना और कानूनी कार्रवाई संभव
धकाते ने कहा कि अगर कोई सिंगल यूज प्लास्टिक अपने साथ लेकर आता है या कचरा फैलाता है तो उस पर पांच सौ रुपये से लेकर हजारों रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
लाखों बोतलों पर लगेगा क्यूआर कोड
हर धाम में पानी की बोतलों पर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। यह व्यवस्था वर्ष 2022 में सबसे पहले शुरू हुई थी। इसके बाद 2023 में गंगोत्री व यमुनोत्री और वर्ष 2024 में बदरीनाथ में शुरू की गई। गंगोत्री में पिछले साल 1.25 लाख बोतलों पर कोड लगाए गए थे। इनमें 1.20 लाख बोतले वापस आई थी। बदरीनाथ में 1.23 लाख बोतलों में क्यूआर कोड लगाए गए। इनमें 98 हजार बोतले वापस आई थी। इसी तरह केदारनाथ में 1.72 लाख बोतलों में 1.39 बोतले वापस आई थी।
प्लास्टिक कम्पेक्टर व बेलर की स्थिति
-गंगोत्री -एक प्लास्टिक कम्पेक्टर क्षमता एक टन प्रतिदिन
-यमुनोत्री - एक प्लास्टिक कम्पेक्टर क्षमता एक टन प्रतिदिन
- बदरीनाथ-एक प्लास्टिक कम्पेक्टर क्षमता एक टन प्रतिदिन
-केदारनाथ- एक प्लास्टिक बेलर मशीन क्षमता0.5 टन प्रतिदिन
-गौरीकुंड- एक प्लास्टिक कम्पेक्टर क्षमता 1.5टन प्रतिदिन
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं उतराखंड सरकार का लक्ष्य चारधाम यात्रा में प्लास्टिक कचरे को कम करना व पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। लेकिन अगर पर्यावरण को सुरक्षित रखना है तो इसकी जिम्मेदारी आम लोगों को लेनी होगी। क्योंकि चारधाम यात्रा केवल आस्था का प्रतिक नहीं बल्कि प्रकृति को आभार व्यक्त करने का माध्यम भी है। इसलिए इन प्रयासों की सफलता के लिए श्रद्धालुओं, स्थानीय निवासियों, व्यापारियों व विभाग सभी का सहयोग अवश्यक है।