पुणे (04 सितम्बर, 2024). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि परंपरागत रूप से आप वेदों की रक्षा करते आए हैं. आज समाज में आस्था को कायम रखने हेतु कालसुसंगत वेद ज्ञान आम लोगों तक पहुंचाना चाहिए. शास्त्रों में अस्पृश्यता (अछूत प्रथा) को कोई स्थान न होते हुए भी भेदभाव और छूआछूत किसलिए?
सरसंघचालक जी बालगंधर्व रंगमंदिर में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास एवं श्री सदगुरू ग्रुप पुणे की ओर से आयोजित वेद सेवक सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज, न्यास के महासचिव चंपतराय जी, भारत विकास ग्रुप के संस्थापक डॉ. हणमंतराव गायकवाड और सकाल मीडिया ग्रुप के प्रबंध निदेशक अभिजीत पवार, सद्गुरू ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष यशवंत कुलकर्णी मंच पर उपस्थित थे.
सरसंघचालक जी ने कहा कि “भारत, जो वेदों की भूमि है, वह भाषा व पूजा पद्धतियों की विविधताओं से सजी है. हमारा अस्तित्व अलग अलग दिखता है, फिर भी हम सब एक-दूसरे से बंधे हुए हैं. वास्तव में यह विभिन्नता नहीं है, बल्कि एक ही सत्य की अभिव्यक्ति है. सारे विश्व को सुख देने के लिए हमारा राष्ट्र जीवन है”.
उन्होंने कहा कि समाज में अनास्था बढ़ी है और सांस्कृतिक मूल्यों के पतन का बांग्लादेश पहला उदाहरण नहीं है. इससे पूर्व अमेरिका, पोलैंड और अरब देशों ने इसका अनुभव किया है. समाज में कलह की आग फैलाकर स्वार्थ की रोटी सेंकने वाली मदांध शक्तियों ने भारत में प्रवेश किया है और अपने ज्ञान के द्वारा ही उनको समाप्त करना होगा.
हमारे पास क्षमता है और हम इन बुरी ताकतों से निपट सकते हैं. हम ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि हमारे पास वेदों के रूप में ज्ञान है. हमारे ज्ञान का विचार उस भाषा में प्रस्तुत किया जाना चाहिए जो समय के लिए प्रासंगिक हो और समाज द्वारा आसानी से समझा जा सके.
गोविंददेव गिरी जी महाराज ने कहा, ऐसा माना जाता है कि कर्मकांड अथवा अनुष्ठान लालसा के चलते किए जाते हैं, लेकिन आपने इसे गलत साबित किया. भगवान के भजन के साथ-साथ समाज सेवा के कार्य तथा सज्जनों का संगठन करना भी आवश्यक है. समाज के लिए, राष्ट्र के लिए प्रयास करना और कुछ लिये बिना देश के लिए बलिदान देना ही मुख्य ब्राह्मणत्व है. उन्हें समाज निर्माण का कार्य करना चाहिए. श्री राम की स्थापना हो चुकी है, लेकिन रामराज्य की स्थापना अभी बाकी है. रामराज्य के साथ हर तरफ सुख होगा. संत ज्ञानेश्वर कृत पसायदान राम राज्य का घोषणापत्र है.
यशवंत कुलकर्णी ने प्रस्तावना में कहा, “राममंदिर पुनर्निर्माण हेतु चारों वेदों का अनुष्ठान किया गया. निकट भविष्य में संस्था के माध्यम से वेद पाठशाला एवं शैक्षणिक गतिविधियां प्रारंभ की जाएंगी.”
अभिजीत पवार ने अध्यात्म एवं विज्ञान का समन्वय प्रस्तुत किया. उन्होंने रामलला स्थापना कार्य में भाग लेने वाले 240 पुजारियों को एक-एक लाख की दक्षिणा देने की भी घोषणा की. हणमंतराव गायकवाड ने जन साधारण के नागरिकों के लिए भारत विकास समूह की स्थापना और यात्रा का वर्णन किया. कार्यक्रम में ‘संकल्प ते सिद्धि’ विशेष अंक का विमोचन किया गया.
चंपतराय ने बताया कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर क्षेत्र में श्रीराम के समकालीन साधु-संतों के 18 मंदिर बनाए जाएंगे. उन्होंने श्री रामलला की पांच वर्ष की आयु और 51 इंच की मूर्ति के पीछे का विज्ञान समझाया. अयोध्या में मंदिर निर्माण की वर्तमान स्थिति और भविष्य के कार्यों की जानकारी दी.
चंपतराय ने कहा, महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, अगस्त्य ऋषि सहित निषादराज, माता शबरी, अहिल्या, जटायु और तुलसीदास के मंदिर बनाए जाएंगे. फिलहाल मंदिर क्षेत्र में दस हजार नागरिकों के रहने की व्यवस्था है. अगले दो वर्षों में 25 हजार श्रद्धालुओं की व्यवस्था होगी. साथ ही पर्यावरण के अनुकूल और मंदिर परिसर में जीरो डिस्चार्ज की व्यवस्था होगी.