उत्तराखंड।
-सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मदरसा छात्रों के सामने संकट
-समायोजन की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है जिसमें कई राज्यों के मदरसा बोर्ड द्वारा दी गई उच्च शिक्षा की डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित किया गया है। इस फैसले के बाद उन मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। फैसले में कहा गया है कि मदरसों द्वारा जारी की गई इन डिग्रियों को अब उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मान्यता नहीं दी जाएगी।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला शिक्षा के मानकों को बनाए रखने के लिए लिया है। कोर्ट का मानना है कि मदरसा बोर्ड की डिग्रियाँ भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित शिक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरती हैं, क्योंकि इनमें पारंपरिक धार्मिक शिक्षा दी जाती है जो विज्ञान, गणित, और सामाजिक अध्ययन जैसे आधुनिक विषयों पर ध्यान नहीं देती। इस आदेश के मुताबिक, अगर कोई छात्र मदरसा बोर्ड से केवल धार्मिक शिक्षा ग्रहण कर रहा है तो उसे शैक्षिक और व्यावसायिक क्षेत्र में मान्यता प्राप्त नहीं होगी।
मदरसा छात्रों के सामने चुनौती-
इस फैसले के बाद मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई और रोजगार के अवसरों पर गंभीर असर पड़ सकता है। इस फैसले का मतलब है कि मदरसा छात्रों की डिग्रियाँ अब सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरियों के लिए मान्य नहीं रहेंगी, जिससे उनके रोजगार के अवसरों पर रोक लग सकती है। साथ ही, उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने में भी इन्हें समस्याएं आ सकती हैं।
समायोजन की माँग-
छात्र, उनके अभिभावक, और मदरसा प्रशासन अब सरकार से इस संकट का समाधान करने के लिए समायोजन की माँग कर रहे हैं। इस समायोजन का अर्थ यह है कि मदरसों की डिग्रियों को किसी वैकल्पिक व्यवस्था के तहत मान्यता दी जाए, जिससे छात्रों के शैक्षिक और व्यावसायिक अवसर बने रहें। इसके साथ ही, कुछ संगठनों ने मांग की है कि मदरसों में आधुनिक शिक्षा के विषयों को शामिल किया जाए ताकि उनकी डिग्रियाँ भविष्य में वैध मानी जा सकें।
सरकार का रुख-
सरकार की ओर से अभी इस विषय पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन मदरसा बोर्ड और शैक्षिक संस्थानों के साथ बातचीत की संभावना जताई जा रही है। कुछ राज्य सरकारें इस संकट के समाधान के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर रही हैं ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे।
इस मुद्दे पर सरकार और मदरसा बोर्डों के बीच चर्चा होना जरूरी है, क्योंकि इससे लाखों मदरसा छात्रों के भविष्य पर असर पड़ सकता है।