- वक्फ ने किया था अवैध कब्जा
- शांतिपूर्ण चल रही थी महारैली
- पुलिस ने रोका तो किया पथराव
उत्तरकाशी । उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी से मस्जिद विवाद का एक मामला सामने आया है, जिसके चलते मुस्लिम समुदाय के लोगों ने संयुक्त सनातन धर्म रक्षक दल की ओर से शांतिपूर्ण निकली जा रही महारैली का हिंसात्मक तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। मामला उत्तरकाशी के जिला मुख्यालय के पास बनी अवैध मस्जिद को लेकर है।
दरअसल जिला मुख्यालय के पास भूमि जिहाद के चलते
वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जाई हुई कुछ भूमि है जिस पर एक मदरसा बना हुआ है। स्वीकृति
तो मदरसे की है परंतु वहाँ पर अवैध तरीके से मस्जिद चलाई जा रही है और नमाज भी की
जाती है, साथ ही कुछ समय से यहाँ पर संदिग्ध गतिविधियाँ भी हो रहीं थीं। इसी को
देखते हुए संयुक्त सनातन धर्म रक्षक दल ने समाज को जागरुक करने और इन सभी
गतिविधियों के विरोध में बीते गुरुवार 24 अक्टूबर को एक शांतिपूर्ण महारैली
निकाली। दल के प्रयास की सराहना करते हुए क्षेत्रीय लोग और व्यवसायी भी बाजार बंद
कर शांतिबद्ध तरीके से उनके साथ जुटे।
परंतु कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम समुदाय के लोगों को यह बात नहीं पची और उन्होंने रैली का हिंसक तरीके से विरोध प्रदर्शन किया और पथराव भी किया, ये तो वही बात हुई कि एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी, पहले तो अवैध तरीके से मदरसे के नाम पर मस्जिद चलाते हैं और फिर कट्टरपंथ की राह पर चलते हुए अपने काम को सही सिद्ध करते हुए हिंसक प्रदर्शन करते हैं।
मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस प्रशासन मौके
पर पहुंचा और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास करने लगा, परंतु जब पानी सर के
ऊपर से जाने लगा और लाख प्रयास करने पर भी प्रदर्शनकारी नहीं माने तो मजबूरी में
पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। परंतु बेशर्मी की हद देखिए कि उन्होंने पुलिस पर भी
पथराव करना शुरू कर दिया। इन लोगों के मस्तिष्क में कट्टरता इतनी कूट-कूट कर भरी
हुई है कि आज यह अपने रक्षक के ही भक्षक बने हुए हैं। पत्थरबाजी के दौरान कई पुलिसकर्मी और
क्षेत्रीय लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
शांति स्थापित करने के लिए प्रशासन की ओर से
क्षेत्र में धारा 163 लगा दी गई है और बाजार भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
प्रशासन का भी यही कहना है कि मस्जिद का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा है जबकि
स्वीकृति मदरसे की ली हुई है।
बढ़ता इस्लामिक कट्टरपंथ
आइए अब आपको बताते हैं कि कैसे उत्तराखण्ड की धरा पर इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा वाले विधर्मी मस्जिद और मदरसों की आढ़ में कट्टरपंथ का जाल फैला रहे हैं। पवित्र देवभूमि उत्तराखण्ड शुरुआत से ही सनातनियों की भूमि रही है। ऐतिहासिक स्रोतों की मानें तो 14वीं शताब्दी के आसपास सूफी संत और व्यापारियों के भेष में पहली बार मुस्लिमों ने पवित्र देवभूमि पर अपने पैर रखे थे, इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने यहाँ अपनी उपस्थिति बढ़ाई और यहाँ मुस्लिम आबादी का विस्तार किया। देवभूमि में प्रवेश करते ही उन्होंने यहाँ कुछ छोटी मस्जिदों का निर्माण किया और जब आबादी बढ़ने लगी तो 17वीं शताब्दी में देहरादून के पल्टन बाजार में एक विशाल मस्जिद का निर्माण कराया जिसका नाम ‘जामा मस्जिद’ रखा गया। इसके बाद धीरे धीरे उन्होंने और भी जगहों पर कब्जा करना शुरू कर दिया और अपनी आबादी का विस्तार करने लगे।
यदि वर्तमान समय में आंकड़ों की बात करें तो
साल 2000 में उत्तर प्रदेश से
अलग होने के बाद साल 2001 में उत्तराखण्ड में जनगणना हुई जिसके अनुसार राज्य में मुस्लिमों
की आबादी करीब 1 लाख थी, जो 2011 में बढ़कर 14 लाख से ज्यादा हो चुकी थी। इस दौरान हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि दर मात्र 16 फीसदी थी जबकि इस दशक
में मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर 39
फीसदी थी। परंतु ये आँकड़े भी तब के हैं जब बीते एक दशक से भारत की जनगणना
के आंकड़े जारी नहीं हुए हैं। रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध
घुसपैठियों का यहाँ आना भी उत्तराखण्ड में मुस्लिम आबादी की वृद्धि का एक
महत्वपूर्ण कारण है जिसे मानने से नकारा नहीं जा सकता है।
यदि मस्जिदों की संख्या के आँकड़ों की बात की
जाए तो राज्य में 400 से 500 बड़ी मस्जिदें और अनगिनत छोटी मस्जिदें और मजारें
उपस्थित हैं।
जिस तरह उत्तराखण्ड में मस्जिद और मजारों का
विस्तार हो रहा है इसी प्रकार यह लोग विश्वभर में जहाँ भी जाते हैं वहाँ इसी
प्रकार की गतिविधियों और कट्टरपंथ का विस्तार करने लगते हैं और वहाँ के क्षेत्रीय
लोगों और उनकी संस्कृति को हानि पहुँचाने लगते हैं। कई ऐसे मामले भी आ चुके हैं कि
इनकी मस्जिदों और मदरसों से निकले लोग विभिन्न प्रकार की आतंकी गतिविधियों में
शामिल पाए गए हैं। इस प्रकार लगातार बढ़ रहा कट्टरपंथ केवल सनातन धर्म ही नहीं
बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है।