नागपुर
राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांता कुमारी जी ने कहा कि प्रमिलताई ने केवल भाषण नहीं दिया, प्रत्यक्ष नेत्रदान और देहदान कर विश्व अंगदान दिवस कैसे मनाया जाए, इसका हम सबके सामने आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने हमें निर्भयता से जीवन जीना सिखाया। जीवन के आखिरी क्षण तक वह सक्रिय और सतर्क रहीं। राष्ट्र सेविका समिति के लिये वह नंदादीप थीं और आगे भी प्रकाश देती रहेंगी। प्रमुख संचालिका जी स्मृति मंदिर, रेशीमबाग स्थित महर्षि व्यास सभागार में समिति की चतुर्थ प्रमुख संचालिका प्रमिलताई मेढे की स्मृति में आयोजित सभा में संबोधित कर रही थीं। स्मृति सभा में मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्णगोपाल जी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जी और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी उपस्थित रहे। शांता कुमारी जी ने कहा कि अहिल्यादेवी होलकर ने जिस प्रकार हर क्षण, हर क्षेत्र में कर्तव्य भाव से लक्ष्यपूर्ति की। उसी प्रकार वंदनीय प्रमिलताई ने अपने जीवन को स्वीकार किया और ध्येयानुसार उनका जीवन रहा। हर साल निरंतर वर्ष प्रतिपदा से रामनवमी तक नौ दिन वह रामचरिचमानस का पाठ करती थीं। उसी के कारण तुलसीदास जयंती के दिन ही उनका स्वर्गवास हुआ। उन्होंने केवल पाठ नहीं किया, अपितु उनके दोहे व्यक्तिगत आचरण में लाने का प्रयास भी किया। मुखिया को विवेक के साथ सभी का ध्यान रखना चाहिए, इसका वस्तु पाठ उन्होंने मुझे दिया। निरंतर पत्र-पत्रिकाएं पढ़ना उनका स्वभाव था। वह देश-विदेश में घटी घटनाओं के बारे में सजग रहती थीं और उस बारे में क्या करना चाहिए, इसकी चिंता करती थीं। हिन्दुत्व के बारे में जागरुक रहती थीं। सेविकाओं को समयपालन और अनुशासन का भी पाठ दिया। सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि लंबा जीवन ध्येय के लिये कैसे समर्पित हो सकता है, इसका उदाहरण प्रमिलताई ने प्रस्तुत किया। वह ईशान्य भारत में समिति के कार्य के लिये आती थीं। १३-१४ घंटों का रात्रि का प्रवास उन्हें सरकारी बसों में करना पड़ता था। लेकिन सुबह होते ही वह काम में लग जाती थीं। उन्हीं की प्रेरणा से नागपुर के देवी अहिल्या मंदिर के छात्रावास से पढ़ी एक बालिका ने दक्षिणा के तौर पर मिज़ोरम में छात्रावास खोला। नागपुर के छात्रावास में पढ़ी सेविकाओं ने प्रमिलताई के स्नेह के कारण ही नॉर्थ ईस्ट में अच्छे कामों की शुरुआत की। वहां के जनजातीय समाज में बरसों से चला आ रहा संघर्ष समिति की पहल से थमा। उन्होंने मान, सम्मान की कभी भी आशा नहीं रखी। अपने आचरण से सेविकाओं के सामने जीवन कैसा हो, ऐसा आदर्श रखा। उनका नश्वर जीवन आज सामने नहीं है। लेकिन उनकी स्मृतियां हैं। उनके कार्य से प्रेरणा पाकर समिति के बहनों को और गति से काम करने का संकल्प लेना चाहिए । पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्राताई महाजन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पहली बार चुनाव के बारे में प्रस्ताव आया तो, यह क्षेत्र भी अपने लिये आवाहनात्मक है, ऐसी सूचना प्रमिलताई दी। उनका मानना था कि समिति की सेविकाओं ने इस क्षेत्र में भी जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री नितिन जी गडकरी ने कहा, प्रमिलताई का व्यक्तित्व देवदुर्लभ था, वह ध्येय समर्पित और मातृहृदयी थीं। लगातार देश-विदेश में प्रवास करती रहीं। जीवन की चिंता न करते हुए निरंतर राष्ट्र, धर्म, और संस्कृति के बारे में सोचा।इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रमिलताई के पोते अमित इंगले के संदेश का पठन किया गया।