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अब मुजफ्फरनगर के 166 मकतबों की जांच करेगा एटीएस

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उत्तरप्रदेश ।

- एक साल पहले एटीएस की जांच में 238 गैर मान्यता प्राप्त मिले थे मदरसे 

- मदरसों और मकतबों पर कड़ी नजर


उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में 166 मकतबों की जांच अब राज्य की एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) द्वारा की जाएगी। यह कदम उन मदरसों और मकतबों पर कड़ी नजर रखने की नीति के तहत उठाया गया है, जिनकी मान्यता या गतिविधियाँ संदिग्ध हो सकती हैं। पिछले साल किए गए सर्वे में 238 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे पाए गए थे, जिनमें से कई की गतिविधियाँ संदिग्ध मानी जा रही हैं। अब इन मकतबों में से 166 का विशेष रूप से निरीक्षण किया जाएगा।

संदिग्ध गतिविधियों की आशंका- 

सर्वे में पाए गए गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में से कुछ पर संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त होने का संदेह है। एटीएस का यह कदम उन मदरसों और मकतबों में हो रही किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रोकथाम करने के लिए है, जो कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती हैं।

सुरक्षा की दृष्टि से अहम-

राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियाँ सुनिश्चित करना चाहती हैं कि प्रदेश में चल रहे शैक्षिक संस्थान सुरक्षा मानकों और नियमों का पालन करें। एटीएस इस जांच के जरिए यह पता लगाएगी कि कहीं ये संस्थान कट्टरता या अवैध गतिविधियों को बढ़ावा तो नहीं दे रहे हैं।


शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता-

शिक्षा विभाग द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों को राज्य के शिक्षा कानूनों के अंतर्गत लाना और उनकी गतिविधियों को नियमन में रखना प्राथमिक उद्देश्य है। एटीएस की इस जांच के बाद राज्य सरकार को भी एक स्पष्ट रिपोर्ट मिलेगी कि इनमें से कौन से मकतब आवश्यक मान्यता प्राप्त नहीं कर पाए हैं और क्यों।

जांच की प्रक्रिया-

एटीएस उन मदरसों और मकतबों से जुड़ी फाइलों, दस्तावेज़ों और मान्यता की पुष्टि करेगी। साथ ही यह देखा जाएगा कि क्या वे शिक्षा नीति के मानकों का पालन कर रहे हैं।

साक्षात्कार और स्थानीय जानकारी-

एटीएस स्थानीय लोगों से इन मकतबों के बारे में जानकारी प्राप्त करेगी, जिससे उनकी गतिविधियों के बारे में बेहतर समझ बनाई जा सके।

सुरक्षा निगरानी-

जांच के दौरान, संदिग्ध संस्थानों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और आवश्यकतानुसार सुरक्षा बलों की तैनाती भी की जाएगी।

सरकार और प्रशासन का दृष्टिकोण-

उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि सभी शैक्षिक संस्थानों का पारदर्शी होना जरूरी है, जिससे राज्य में शिक्षा व्यवस्था और सुरक्षा पर नियंत्रण बनाए रखा जा सके। जांच के बाद अगर किसी मकतब में अनियमितताएँ पाई जाती हैं, तो उसके खिलाफ आवश्यक कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं।