शिमला, हिमाचल प्रदेश.
संजौली अवैध ढांचे को गिराने की मांग और हिमाचल में योजनाबद्ध तरीके से किये जा रहे डेमोग्राफी परिवर्तन को लेकर लोग सड़कों पर उतरे. शिमला के संजौली, चौड़ा मैदान और कुसुम्पटी बाजारों सहित अन्य स्थानों पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. लोगों के मिजाज बता रहे थे कि एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों के कारण उनको लगातार परेशानियां आ रही है. लोगों का कहना था कि अब तक शांति पूर्वक उनकी हरकतों को सहते रहे हैं. लेकिन अब पानी सर के उपर जा रहा है, इसलिए आने वाली नयी पीढ़ी की सुरक्षा की चिंता सता रही है. संजौली एक छोटा बाजार है, लेकिन लगभग 2000 लोगों का एकसाथ एकत्रित होना आक्रोश को बता रहा था.
मस्जिद का नाम लेते ही सबसे पहले समझ में आता है – इबादत करने का स्थान. लेकिन जिस प्रकार ढांचे को मस्जिद का नाम देकर बाजार के बीचों-बीच खड़ा कर दिया, इसमें इबादत की बात समझ में नहीं आती. ढांचे के चारों तरफ हिन्दू आबादी रहती है, साथ ही कई प्रकार के भवन जैसे स्कूल, होटल, दुकानें और व्यवसायिक परिसर भी हैं. लोगों का आरोप है कि वैसे तो हर दिन मुख्य सड़क से नीचे उतरते समय समुदाय विशेष के कारण स्थानीय लोगों को परेशानी होती है, लेकिन शुक्रवार के दिन उनको विशेष परेशानियां होती हैं.
प्रदर्शन करने वाली जनता में बहुत सारी महिलाएं भी सम्मिलित थी, जबकि महिलाओं का सामान्यतः किसी मुद्दे पर प्रखर और आक्रोशित होकर सड़कों पर उतरना एक बड़ी बात है. लेकिन अवैध ढांचे को गिराने के लिए आज शिमला की महिलाएं बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरीं. कुछ बाहरी राज्यों से लगातार आ रहे लोग उन पर चलते फिरते तंज कसते हैं, अभद्र टिप्पणियां करते हैं. जिससे आम महिला और लड़कियों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है.
कांग्रेस सरकार के पंचायतीराज मंत्री ने विधानसभा में उठाया मुद्दा
कांग्रेस सरकार में पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह ने विधानसभा में जनहित को देखते हुए यह मुद्दा विधानसभा में उठाया. उन्होंने चिंता जतायी कि बाहरी राज्यों से लगातार लोग हिमाचल में आ रहे हैं. ये लोग रोजगार के नाम पर कहीं पर बैठ जाते हैं और तहबाजारी का लाईसेंस लेकर अपना काम शुरू कर देते हैं. स्थानीय लोगों के रोजगार को भी प्रभावित करते हैं. शिमला में फल, सब्जियां, बाल काटना, दर्जी और सड़कों के किनारे बैठकर वस्तुओं को बेचना इत्यादि व्यवसाय पर समुदाय विशेष के लोगों का कब्जा होता जा रहा है. मंत्री ने कहा कि यहां पर आ रहे बाहरी लोगों का वैरीफिकेशन भी ठीक प्रकार ने नहीं किया गया. सरकारी रिकॉर्ड में जहां उनकी संख्या 190 के करीब है, वहीं असल में बाहरी राज्यों से आए लोगों की संख्या 1900 से अधिक हो चुकी है. ऐसे में उन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर आम लोगों को संदेह होता है जो आम लोगों की छतों के छज्जों का जरा सा अवैध पाये जाने पर उनका बिजली पानी काट देते हैं. लेकिन अवैध ढांचे को गिराने का काम किसी भी अधिकारी द्वारा नहीं किया गया. जबकि अवैध ढांचा पांच मजिला बन चुका है.
मस्जिद की नहीं थी कोई आवश्यकता
संजौली में मस्जिद के नाम पर जो अवैध ढांचा खड़ा किया गया, उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी. संजौली में मुश्किल से 50 मीटर की दूरी पर एक अन्य प्राचीन मस्जिद भी बनी हुई है. इस मस्जिद में मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग नमाज अदा करते आ रहे हैं. हालांकि यह मस्जिद भी हिन्दू आबादी के बिल्कुल बीचों-बीच बनी हुई है. चारों तरफ से हिन्दू आबादी से घिरे होने के कारण यदि लाउडस्पीकर आदि का प्रयोग होता है तो इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
कब्रगाहों के नाम भी चल रहा लैंड-जिहाद
शिमला के कई ऐसे क्षेत्र भी हैं, जैसे चक्कर के समीप का एरिया या नवबहार का निचला क्षेत्र इत्यादि जहां पर मुस्लिम सम्प्रदाय के लोगों को मृत्यु के उपरांत दफन किया जाता है. ये स्थान कितने एरिया में है और उसकी क्या क्षेत्रीय सीमाएं हैं, ये निर्धारित नहीं है. जिस कारण लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि अधिक से अधिक भूमि वक्फ-बोर्ड हथिया रहा है.