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समर्पित स्वयंसेवकों के प्रयास से पूर्वांचल में स्थिति में सुधार - डॉ. मोहन भागवत

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पुणे (05 सितम्बर, 2024).

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि मणिपुर में कठिन परिस्थिति में भी संघ के स्वयंसेवक मजबूती के साथ खड़े हैं. संताप, क्रोध व द्वेष को भुलाकर नागरिकों में संघर्ष रोकने हेतु सभी वर्गों से संवाद साध रहे हैं और माहौल सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले 40 से 50 वर्षों से समर्पण भाव से कार्य करने वाले संघ स्वयंसेवक और अन्य संगठनों के कारण ही पूर्वांचल में आज स्थिति सुधर रही है.

सरसंघचालक जी कोथरूड स्थित बाल शिक्षण मंदिर के सभागार में आयोजित भैय्याजी काणे जन्मशती कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर पूर्व सीमा विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. देवराव पाटिल, मुख्य अतिथि नितीन न्याती, रा. स्व. संघ के पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत संघचालक नाना जाधव, प्रतिष्ठान के सचिव जयवंत कोंडविलकर उपस्थित थे.

सरसंघचालक जी ने कहा कि मणिपुर में द्वेष की अग्नि को भड़काएं नहीं, बल्कि उसे शांत करना चाहिए. मणिपुर में आज की स्थिति कैसे बदली जा सकती है, इस पर विचार करना होगा. ऐसा हुआ तो कठिन स्थिति बदलने में समय नहीं लगेगा. इस सकारात्मकता को पैदा करने हेतु हर एक को अपने स्तर पर योगदान देना होगा. भारतीय होने की भावना पूर्वांचल में अधिक दृढ है.

डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि देशभक्ति, संस्कृति और बलिदान भारतीयों को जोड़ने वाली त्रि-सूत्री है. लेकिन अभी भी देश का उत्थान होने में समय है. अगली एक-दो पीढ़ियों को इसके लिए कार्य करना पड़ेगा. ऐसी कुछ शक्तियां जिन्हें भारत का उत्कर्ष सहन नहीं होता, सब कुछ छीनने का प्रयास कर रही हैं. उन्होंने कहा कि महापुरुषों से प्रेरणा लेते हुए गिलहरी योगदान देने वाले आम नागरिक चाहिए. सेवा व परोपकार की हमारी संस्कृति अखंड भारत में कायम है.

इस अवसर पर नितीन न्याती ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में संघ कार्य जारी है तथा संघ के पास संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले कार्यकर्ता हैं. देश के रूप में हमारा यह भाग्य है. न्याती फाउंडेशन की ओर से ऐसे सभी उपक्रमों में योगदान दिया जाएगा. समाज के प्रबुद्ध लोगों को भी यह योगदान देना चाहिए.

पूर्व सीमा विकास प्रतिष्ठान के समन्वयक श्रीपाद दाबक ने प्रस्तावना रखी. भैय्याजी काणे की जन्मशती के अवसर पर उनका कार्य समाज तक पहुंचना चाहिए. दाबक ने कहा कि भारत की पूर्वी सीमा के पास विद्यालयों का जाल बुनना होगा, इसलिए जन्मशती कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम में सुधीर जोगलेकर ने भैय्याजी काणे का जीवनपरिचय करवाया. अतुल कुलकर्णी ने सूत्र संचालन किया.