जीवन का अल्पतम अंग है राजनीति श्री
गुरुजी
एक विचार हमारे मन में यह भी आया कि
अपने इस पावन कार्य पर जो बाधा आई, वह
सत्ता की ओर से आई और सत्ता राजनीति के द्वारा प्राप्त होती है। अतएव राजनीतिक
शक्ति की उपासना करके सत्ता प्राप्त करते हुए कार्य के लिए बाधारहित अवस्था
उत्पन्न करना चाहिए।
मन में इस प्रकार का विचार होने के कारण
इस समस्या को लेकर अंतःकरण की प्रवृत्तियाँ बनाने का प्रयत्न हुआ। फलस्वरूप हर एक
के मस्तिष्क पर राजनीति चढ़कर बैठ गई। मैं उसके संबंध में कुछ भला-बुरा नहीं कहता, क्योंकि मैं उसे जानता नहीं। अपने दूसरे
कार्यकर्ता जो उस अखाड़े में खेले हैं, उसके बारे में कहें। जिन्हें राजनीति करना है, वे करें । किंतु उसके अतिरिक्त कुछ
कार्य नहीं है, यह
कहना उनके अधिकार - क्षेत्र के बाहर की बात है। राजनीति जीवन का अल्पतम अंग है, जीवन को व्याप्त करनेवाला साधन नहीं।
- श्री गुरुजी समग्र, खंड-2, प्रथम संस्करण, सुरुचि
प्रकाशन, पृष्ठ
52-53




