शिक्षा है संजीवनी शिक्षा गुणों की खान....! इसी आदर्श वाक्य को जीवन में अंगीकृत कर यूपी के सहारनपुर की सरिता प्रधान शिक्षा की अलख जगा रही हैं। वह मलिन बस्तियों के अलावा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल न जाने वाली बालिकाओं के लिए कक्षाएं चलाती हैं। उनके साथ इस अभियान में कई महिला स्वयंसेवक भी जुड़ी हैं। इसके अलावा सरिता महिलाओं की काउंसलिंग कर उन्हें स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित कर रही हैं।
कालेज की शिक्षा के समय से ही सरिता प्रधान अपने से छोटी कक्षाओं की बालिकाओं को पढ़ाने के लिए निकटवर्ती क्षेत्र में जाती थीं। धीरे-धीरे उनकी इस दिशा में रुचि बढ़ने लगी और इस काम में परिवार का भी सहयोग मिलने लगा। अपने इस शौक को उन्होंने शादी के बाद भी जारी रखा। शादी के बाद- 2008 से पति धर्मेंद्र धवलहार के साथ मिलकर वह समाज हित में शैक्षिक कार्य कर रही हैं।
2013 में इन्होंने अतुल्य शिक्षा एवं सामाजिक विकास समिति को रजिस्टर्ड कराया। समिति की सचिव के रूप में सरिता को पति का पूरा सहयोग मिला। समिति सचिव के रूप में सरिता ने बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए अभियान शुरू किया। साथ ही वह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी जुटी हैं। सरिता प्रधान के अनुसार, उन्होंने अपनी समिति के नौ वर्षों में करीब 1300 से अधिक बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षित किया है। 50 से अधिक महिलाओं ने अपने घर पर स्वरोजगार शुरु कर स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने कोरोना काल में भी महिलाओं का मार्गदर्शन कर उन्हें स्वावलंबन के लिए प्रेरित किया।
सरिता का कहना है कि उनका प्रयास है कि जो बालिकाएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं वे शिक्षा पूरी कर स्वयं स्वावलंबी बनकर अपने रूचि के क्षेत्र में समाज को सशक्त करने में अपना योगदान दे सकती हैं।