सिर्फ दो वर्षों में अंतरिक्ष संबंधी स्टार्टअप में लगभग 200 गुना की वृद्धि हुई है. अंतरिक्ष संबंधी स्टार्टअप्स की संख्या वर्ष 2022 में 1 से बढ़कर वर्ष 2024 में लगभग 200 हो गई है, जो इन वर्षों में 200 गुना की अभूतपूर्व वृद्धि है. केवल वर्ष 2023 में, लगभग आठ महीनों में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग 1000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया.
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष विभाग की 100 दिवसीय कार्ययोजना की समीक्षा के लिए आयोजित उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, अवसरों और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों का निरीक्षण किया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बड़ी छलांग प्रधानमंत्री द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी की अनुमति प्रदान करने के नीतिगत निर्णय के कारण संभव हुई है. बैठक में भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ, उनकी टीम के सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी उपास्थित थे.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2030 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2021 की तुलना में 4 गुना बढ़ने जा रही है. वर्ष 2021 में, भारतीय अंतरिक्ष उद्योग ने वैश्विक हिस्सेदारी में 2 प्रतिशत का योगदान दिया. वर्ष 2030 तक इसके 8 प्रतिशत और वर्ष 2047 तक 15 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है.
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष ने अंतरिक्ष मिशनों में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी पर भी संक्षेप में बातचीत की. वर्तमान में भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देता है, जिससे इस क्षेत्र में नवाचार और विकास के नई संभावनाएं पैदा होती हैं.
निजी क्षेत्र उन्नत छोटे उपग्रहों, भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों, कक्षीय स्थानांतरण वाहनों आदि के विकास के लिए नए समाधान पेश कर सकता है. निजी कंपनियां कृषि, पर्यावरण, प्रशासन आदि क्षेत्रों में बड़ी भूमिका निभाएंगी.
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निजी कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) के बारे में निर्देश दिया. वर्ष 2020 तक 403 ऐसे हस्तांतरण हो चुके हैं और आज तक एनएसआईएल/ आईएनएसपीएसीई द्वारा अतिरिक्त 50 हस्तांतरण किए गए हैं.
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अगले 100 दिनों की योजनाओं और उसके निर्धारित प्रक्षेपणों के बारे में जानकारी ली. इसमें नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार मिशन (एनआईएसएआर) कार्यक्रम शामिल है जो नासा और इसरो के बीच एक संयुक्त पृथ्वी-अवलोकन मिशन है. नासा और इसरो दो रडार प्रदान कर रहे हैं. प्रत्येक रडार अपने तरीके से अनुकूलित है ताकि मिशन को अकेले किसी एक की तुलना में अधिक व्यापक परिवर्तनों का निरीक्षण करने की अनुमति मिल सके. अन्य कार्यक्रमों में जीसैट-20, पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान का लैंडिंग अभ्यास और अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग आदि शामिल हैं.