बीते एक दशक से खेती में नवाचार से लोगों की अवधारणा बदल रही है। कई लोगों ने खेती के जरिये ये सिद्ध कर दिया कि आज खेती भी मुनाफे का सौदा है। बशर्ते पारंपरिक खेती से हटकर व्यावसायिक खेती की जाए। इसलिए आज खेती किसानी प्राइवेट नौकरी से ज्यादा अच्छा विकल्प साबित हो रही है। इसी क्रम में देहरादून के रहने वाले (ले.) कर्नल विकास गुंसाई, रिटायर होने के बाद कुछ दिन के लिए प्राइवेट नौकरी की। लेकिन जल्द ही मोहभंग होने से उन्होंने खेती-किसानी करने का फैसला लिया और आज वह सालाना 9 से10 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं।
विकास गुंसाई ने कहा कि हम खेती मुनाफे के लिए बल्कि युवाओं को जोड़ने के लिए कर रहे हैं। जिससे युवाओं का पलायन रुके और गांव में वह आत्मनिर्भर बनकर दूसरे को भी रोजगार दे सकें। पौड़ी के चौबट्टाखाल के रहने वाले कर्नल आज गांव के युवाओं को ऑर्गेनिक खेती के बारे में जानकारी देकर खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वह स्वयं भी ऑर्गेनिक खेत करते हैं। इसमें वह मैंगो जिंजर, काली हल्दी, आमला, आम समेत कई फसल उगाते हैं। खेती के साथ ही वह प्रोसेसिंग भी करते हैं। इससे मुनाफा दोगुना होने के साथ ही स्थानीय महिलाओं को रोजगार भी मिलता है। प्रोसेसिंग में महिलाएं उनके साथ जुड़कर मुरब्बा, आचार समेत कई अन्य तरह के उत्पाद बना रहीं हैं। उनके कुछ उत्पाद की मांग विदेशों में भी है, उसमें हल्दी भी शामिल है।
बता दें कि कर्नल विकास गुंसाई ने 21 साल सेना में रहकर राष्ट्र की सेवा की। गौरतलब है कि कारगिल युद्ध के दौरान वह बटालिक सेक्टर में थे। साल 2011 में उन्होंने रिटायरमेंट लेकर कुछ दिन प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की। लेकिन उन्हें नौकरी में मानसिक आराम नहीं मिला, तब उन्होंने अपनी जन्मभूमि से जुडकर खेती किसानी शुरू कर दी। शुरुआत में उन्होंने केवल लौकी, बैगन, कद्दू, तोरई जैसी सब्जियों की खेती की। लेकिन बाद में सब्जियों के साथ-साथ मेडिसिनल प्लांट भी लगाया। मुनाफे के चलते आज उनका पूरा परिवार खेती से जुड़ा हुआ है। इस तरह आज खेती को उन्होंने मुनाफे का माध्यम बनाकर इलाके में युवाओं को खेती किसानी की जानकारी देकर आत्मनिर्भर बना रहे हैं।