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हिंदू समाज को स्नेह सूत्र में बांधना संघ का लक्ष्य - मोहन भागवत जी

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पुणे

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने शुक्रवार को कहा कि संघ का मूल उद्देश्य यही है कि पूरा हिंदू समाज आपसी अपनत्व और स्नेह के सूत्र में जुड़ा रहे। वह यहबात उन्होनें प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और समाजसेवी वैद्य पी. वाय. खडिवाले की जीवनी के विमोचन समारोह में बोल रहे थे।


 उन्होंने कहा कि वैद्य खडिवाले न केवल आयुर्वेद के अच्छे चिकित्सक थे, बल्कि वह समाज सेवा और मानवीय मूल्यों के भी प्रतीक थे। “वह इस बात का जीवंत उदाहरण हैं कि करुणा, सेवा और सच्ची भावना से समाज को जोड़ा जा सकता है।” मोहन भागवत जी ने अपने संबोधन में कहा कि इंसान के पास विवेक है, जो उसे देवतुल्य बना सकता है—यदि वह उसका सही उपयोग करे। लेकिन यदि यही विवेक स्वार्थ और द्वेष की दिशा में चला जाए, तो व्यक्ति बहुत नीचे गिर सकता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज के समय में अपनापन, स्नेह और करुणा जैसे भाव समाज से धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। ऐसे में संघ का कार्य है इन मानवीय मूल्यों की याद दिलाना। “अगर कोई आपके प्रति अपनापन दिखाता है, तो जवाब में आपको भी उसी भाव से पेश आना चाहिए। यही हमारा संस्कार है, और संघ इसे जगाने का प्रयास करता है।”

 

भागवत जी आगे कहा कि केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरा हिंदू समाज इस विचार को आगे बढ़ा रहा है कि दुनिया को जोड़ने का आधार ‘अपनापन’ ही होना चाहिए। उन्होंने ‘गिविंग बैक’ की पश्चिमी सोच का जिक्र करते हुए कहा कि यह भावना भारत की संस्कृति में प्राचीन काल से रही है, यह हमारे लिए कोई नया या फैशन का विषय नहीं है।


अंत में भागवत जी ने स्व. वैद्य खडिवाले जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जो भी लोग उन्हें मानते हैं, वह उनका अधूरा काम—सेवा और समाज हित का कार्य-आगे बढ़ाएं।