मई की गर्मी में उत्सवों की उमंग
लेखक- नीलम भागी
लेखिका, जर्नलिस्ट, ब्लॉगर, ट्रैवलर
स्थानीय लोगों को कठोर मौसम से लड़ने में मई के पर्व उत्साह बढ़ाते हैं। धार्मिक दृष्टि से मई महीने का बहुत महत्व है क्योंकि फसल की कटाई हो चुकी है। कीमत भी जेब में आ जाती है। आमों में बौर आ गया है। कोयल की मीठी कूक सुनने को मिलती है। कुछ राज्यों में मई में आम पक जाता है। स्कूलों में छुट्टियां हो गई हैं। ऐसे में विविधताओं के हमारे देश में महापुरूषों के जन्मदिवसों, कहीं मौसम के कारण प्रकृति की सुन्दरता और धार्मिक शुभ दिनों के कारण मेले, उत्सव होते हैं। जिससे जीवन की एकरसता दूर होती है। उस दिन क्या पारंपरिक पकवान बनेगें? बजट के अनुसार पर्यटन की योजना बनाना और फिर तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इससे सामाजिक समरता बढ़ती है। कृषि प्रधान देश है। चरी, बाजरा बोकर, बाजरा में ग्वार लगा दी जाती है। इसमें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। इसलिए किसान के पास भी समय होता है और गर्मी भी उत्सवों की उमंग के साथ कटती है।
1 मई से 31 मई ईगितुन चालने (आग में चलना) सिरिगाओ गोवा, यह राजधानी पणजी से 30 किमी. दूर सिरिगाओ के मंदिर में मनाया जाता है। अनुष्ठान देखने के लिए आगंतुक और स्थानीय लोगों की भीड़ मंदिर के चारों ओर लग जाती है। इसके बाद आग पर चलना होता है जो कुछ साहसी लोगों द्वारा किया जाता है। इसे देवी लैराया के भक्त करते हैं। बाकि भक्त जयकारों के साथ उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय पुष्प मेला गंगटोक, सिक्किम में फूलों की सुंदरता और वृक्षारोपण के ज्ञान के साथ, स्वदेशी पौधों के बारे में व्याख्यान और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। क्षेत्रिय व्यंजनों के स्वाद के साथ, याक की सवारी का आनंद उठाया जा सकता है। जिन्हें रोमांच पसंद है, उनके लिए रिवर राफ्टिंग है।
1 से 3 माओेत्सु महोत्सव नागालैड में एओ जनजाति द्वारा मनाया जाता है।
2 मई को केरल के कलाडी क्षेत्र में जन्में महान संत दार्शनिक आदि शंकराचार्य का जन्मदिन पूरा देश शंकाराचार्य जयंती के रूप में हर्षाेल्लास से मनाता है। शंकराचार्य जयंती महान संत, प्रसिद्ध दार्शनिक आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कलाडी क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने अद्वैत वेदांत दर्शन के सिद्धांत पर चलकर हिंदू संस्कृति को तब बचाया, जब हिंदू संस्कृति को संजोए रखने की जरूरत थी। रामानुज जयंती, रामानुजाचार्य प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय थे। इन्होंने उपनिषदों, ब्रह्म सूत्रों के दर्शन को मिश्रित किया और भक्ति परंपरा को एक मजबूत बौद्धिक आधार दिया। इसी दिन दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहरों में स्कन्द षष्ठी का व्रत खास महत्व रखता है। मां पार्वती और शिवजी के पुत्र कार्तिकेय की आराधना परिवार में सुख शांति और संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। कार्तिकेय को कुमार, मुरुगन, सुब्रह्मण्यम जैसे कई नामों से जाना जाता है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार 3 मई को गंगा मैया का पुर्नजन्म हुआ था। इस दिन गंगा स्नान का बड़ा धार्मिक महत्व है। इसे हम गंगा जयंती के रुप में भी मनाते हैं।
बगुलामुखी जयंती 5 मई, इन्हें मां पीताम्बरा या ब्रह्मास्त्र विद्या, दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या भी कहा जाता है। देवी की पीली पोशाक और पीला श्रृंगार होता है। तांत्रिक लोग इन्हें बहुत मानते हैं। पीताम्बरा पीठ, दतिया मध्य प्रदेश में और हिमाचल बगुलामुखी मंदिर में मेला लगता है।
5 मई विश्व हंसी दिवस मई के पहले रविवार को मनाया जाता है। हास्य योग के अनुसार हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है, जिसमें व्यक्ति स्वयं उर्जावान होता है जिससे समाज को शांतिपूर्ण बनाने में मदद मिलती है।
त्रिशूर पूरम भारत के सबसे धार्मिक राज्य केरल के त्रिशूर नगर का वार्षिक उत्सव है। इस उत्सव की शुरूआत 200 साल पहले त्रिशूर के राजा ने इस मकसद से की थी कि सारे मंदिर एकजुट हो जाएं। यह केरल के हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसमें 30 हाथी भव्य जुलूस में हिस्सा लेते हैं और 250 संगीतकार पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ तेज आवाज में संगीत बजाते हैं। इस उत्सव की रौनक अलग ही होती है।
मोहिनी एकादशी 8 मई को इस व्रत को करने से पापों का नाश और मोक्ष प्राप्ति होती है ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धर के जीवन में सुख शांति प्रदान करते हैं। 8 मई मासिक कार्तिगाई भगवान कार्तिकेय से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए घर के द्वार पर तेल का दीपक जलाते हैं। टैगोर जयंती वैशाख के 25वें दिन गुरूदेव जन्में, विश्वविख्यात कवि, संगीतकार, गीतकार निबंधकार और दार्शनिक रविंद्र नाथ टैगोर का जन्मदिवस मनाया जाता है। भारत का राष्ट्रगान टैगोर जी की रचना की देन है।
10 से 12 मई ग्रीष्म उत्सव माउंट आबू, राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन पर असाधारण, दिलचस्प कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जो जुलूस के साथ शुरू होता है। उसके बाद राजस्थान, गुजरात के लोक प्रदर्शन शुरू होते हैं।
11 मई को भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है क्योंकि उन्होंने शक्तिशाली राक्षस हिरण्यकश्यप को मारने के लिए ऐसे रूप में जन्म लिया।
मातृ दिवस, हिंदू धर्म में तो प्रत्येक दिन सुबह उठते ही मां को प्रणाम करने की परंपरा है। अब मई के दूसरे रविवार को बच्चे मां के लिए कुछ विशेष करते हैं। कैरियर के कारण घर से दूर रहना मजबूरी है। लेकिन अति व्यस्त रहने पर भी इस दिन को नहीं भूलते। नर्स दिवस, स्वास्थ देखभाल की रीढ़ हैं हमारी नर्से उनकी सेवा के आभार स्वरूप, फ्लोरैंस नाइंटिंगल के जन्मदिवस पर नर्स दिवस मनाया जाता है।
12 मई वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा, सारनाथ मेला भारतीय बौद्ध सर्कट का महत्वपूर्ण स्थल होने के नाते, यहां एक विस्तृत मेले का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी यहां सागा दावा सिक्किम, दार्जीलिंग में आते हैं।
नारद जयंती 13 मई मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा के मानस पुत्र देवश्री नारद मुनि का जन्म हुआ था।
13 मई चिथिराई महोत्सव, एक महीने 14 अप्रैल से 13 मई मदुरै तमिलनाडु, मदुरै के प्रसिद्ध मंदिर में भगवान सुंदरेश्वर के साथ देवी मीनाक्षी के विवाह उपलक्ष में मनाया जाता है।
ढुंगरी मेला 14 से 16 मई घटोच्कच की मां देवी हिडिम्बा के जन्मदिन के उपलक्ष में ढुंगरी मेला लगाया जाता है। देवी हिडिम्बा का सम्मान करने के लिए क्षेत्र के सभी महत्वपूर्ण देवता आते हैं। इस उत्सव में भाग लेने के लिए स्थानीय देवताओं की रंग बिरंगी पालकियां भी मैदान में आतीं हैं। उनका भी एक ही स्थान पर पूजन किया जाता है। लोग पारंपरिक रंग बिंरंगे पोशाकों में आते हैं। इस अवसर पर स्थानीय संगीत बजता है और स्थानीय भोजन का वितरण होता है। भीम की पत्नी यह देवी आदिवासियों और यात्रियों की संरक्षक देवी है। देवी उन लोगों की रक्षा करती है जो पहाड़ी जंगलों की यात्रा करते हैं।
फायरफ्लाइज त्योहार 17 मई से 22 जून को पुरुषवाड़ी में एक जादुई आयोजन है। प्रीमानसून सीजन के दौरान महाराष्ट्र के ग्रामीण शांत इलाकों में हजारों जुगनु एक मनमोहक प्राकृतिक शो का निर्माण करते हैं। इस दौरान पर्यटकों के लिए तारों के नीचे कैंपिंग, गांव की सैर और कहानी सुनाने के सत्र शामिल किए जाते हैं।
17 से 22 ऊटी ग्रीष्म महोत्सव नीलगिरी की ताजी हवा में प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच, यह गर्मी के त्यौहार की तरह है। यहां फूलों की सजावट, सब्जियों की नक्काशी, फूलों की रंगोली, रोज शो, फ्रूट शो, डॉग शो, स्पाइस शो, वेजिटेबल शो, बोट शो का आनन्द उठा सकते हैं।
येरकॉड ग्रीष्मोत्सव 22 से 26 मई सलेम में अन्ना पार्क में फूलों की प्रदर्शनी, नाव दौड़, सांस्कृतिक आयोजन, डॉग शो, गांव के दौरे, साहसिक गतिविधियों के साथ पर्यटन का जश्न मनाया जाता है। यहां हर साल, त्योहार के दौरान आयोजनों की गतिविधियां बदल जाती हैं। इसलिए इस उत्सव में मौज मस्ती और जश्न की गारंटी मानी जाती है।
वट सावित्री 26 मई इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और संतान की कामना करते हुए व्रत करतीं हैं। वट यानि बरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर व्रत की कथा करतीं हैं और उसकी पूजा करतीं हैं।
सिख समुदाय में गुरु परंपरा के पांचवें गुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस 30 मई को उनकी शहादत को याद करने के लिए मनाते हैं। गुरु अर्जुन देव जी सिख धर्म के पहले शहीद हैं। इन्होंने धर्म के लिए अपनी शहादत दी। इनके शहीदी दिवस पर जगह-जगह ठंडे शर्बत की छबीलें लगाई जाती हैं। गुरु जी ने सिखों को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक और सामाजिक कार्यों में लगाने के लिए प्रेरित किया।
फसल उत्सव, प्रेरणास्रोत महापुरुषों का जन्मदिन और पर्यावरण संरक्षण और मेलों को विशेष दिनों में मनाना हमारे जीवन को भीषण गर्मी में भी खुशहाल बनाता है।