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राकेश नहीं... बहारे आलम निकला!

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  • मासूम बेटी को फंसाकर निकाह का षड्यन्त्र, माँ ने खोले राज!
  • जब भरोसा छल बन जाए... और नाम एक जाल!

शाहजहाँपुर : उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर से एक षड्यंत्रकारी मामला सामने आया है, जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया है। यहाँ एक हिन्दू महिला और उसकी निर्दोष बेटियों के साथ ऐसा छल रचा गया, जिसे सुनकर आपका हृदय काँप जाएगा। हरियाणा के फरीदाबाद की मजदूर महिला की दोस्ती ‘राकेश’ नाम के एक व्यक्ति हुई। दो वर्ष की जान-पहचान, धीरे-धीरे विश्वास में बदल गई। राकेश की बातों में आकर महिला अपनी 15 व 4 वर्षीय बेटी के साथ शाहजहाँपुर आ गई। परन्तु वहाँ पहुँचते ऐसी सच्चाई सामने आई, कि जिससे न मात्र स्तब्ध रह गई, अपितु पूरी तरह बिखर गई। वास्ताव में ‘राकेश’ कोई और नहीं अपितु बहारे आलम था और उसके साथ उसका भाई जान मोहम्मद उर्फ छोटू भी सम्मिलित था।

निकाह का जाल और मतान्तरण की तैयारी

सच सामने आने क बाद महिला ने निकाह से मना किया, तो दोनों भाइयों ने उस पर और उसकी नाबालिग बेटी पर जबरन मतान्तरण का दबाव बनाना आरम्भ कर दिया। परन्तु माँ ने हार नहीं मानी, वह किसी तरह अपनी बेटी को लेकर थाने पहुंची और मदद की अपील की। पुलिस ने बहारे आलम और उसके भाई के विरुद्ध उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी कानून की धारा 3 और 5 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।

ये मात्र शाहजहांपुर का एक मामला नहीं, अपितु कट्टरपंथियों के गहरे षड्यंत्र का काला सच है, जिसके माध्यम से लगार हिंदू लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है। आज ‘राकेश’ बनकर आए ये बहारे आलम, कल किसी और के घर में ‘अजय’, ‘राहुल’, या ‘विशाल’ बनकर घुस सकते हैं। ये सिर्फ मतान्तरण का षड़यंत्र नहीं था — ये एक सांस्कृतिक हमला, एक मानसिक शोषण और मासूमियत पर वार था। अब समय है पहचानने का चेहरा नहीं, मंशा देखिए। जो नाम रक्षक लगते हैं, वो भक्षक भी निकल सकते हैं। ये खबर एक मां की हिम्मत की है, लेकिन साथ ही यह एक चेतावनी है — धोखे के इस मतान्तरण के षड्यंत्र से बचने की।