प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय ज्ञान परंपरा के बीच एक गहरा संबंध है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा में भारतीय ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण स्थान है। इस दृष्टि को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने निर्णय लिया है कि पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास पढ़ाया जायेगा।
विश्वविद्यालय का निर्णय
कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने बताया कि अब राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ का इतिहास स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाएगा।
भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास को पढ़ाने का
निर्णय पहले ही घोषित किया जा चुका है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण
प्रोफेसर सत्यकाम के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दृष्टि में भारतीय ज्ञान परंपरा
केवल धार्मिक या दार्शनिक विचारों तक सीमित नहीं है। इसमें सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक मूल्य भी शामिल हैं। संघ वसुधैव कुटुंबकम, सहिष्णुता, विविधता, आत्मनिर्भरता और स्वदेशी पर जोर देता है।
भारतीय जीवनशैली और मानवीय मूल्य
भारतीय जीवनशैली परंपरागत मूल्यों, सामाजिक समरसता, परस्पर स्नेह और
आत्मीयता पर आधारित है। इसके माध्यम से मानवीय मूल्यों का विकास और आदर्शों का
उन्नयन संभव है। विश्वविद्यालय का यह निर्णय युवाओं में राष्ट्रीयता का भाव
उत्पन्न करेगा और विकसित राष्ट्र की अवधारणा को साकार करेगा।
स्वदेशी विचारों और स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन
इस पाठ्यक्रम के माध्यम से लोकल उत्पाद और स्वदेशी विचारों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसका उद्देश्य भारतीय समाज को मजबूत और एकजुट बनाना है, ताकि युवा पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की भावना सुदृढ़ हो।