• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

मथुरा में तीन दिवसीय कार्तिक महोत्सव का शुभारंभ

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

मथुरा। 

-राधा वृंदावन चंद्र ने किया यमुना विहार

- मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, और भक्तिमय कार्यक्रम


मथुरा में तीन दिवसीय कार्तिक महोत्सव का शुभारंभ हो गया है। यह महोत्सव मथुरा और वृंदावन में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि कार्तिक माह में कृष्ण भक्ति और धार्मिक आयोजनों का विशेष महत्व है। इस महोत्सव की शुरुआत राधा वृंदावन चंद द्वारा यमुना विहार में की गई, जो एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।

 महोत्सव का उद्देश्य:

कार्तिक महोत्सव का आयोजन भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। यह महोत्सव विशेष रूप से कृष्ण जन्मभूमि और वृंदावन क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा है। इस दौरान मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, और भक्तिमय कार्यक्रम होते हैं।


यमुना विहार में शुभारंभ:

राधा व्रंदावन चंद के नेतृत्व में यमुना विहार में इस महोत्सव का शुभारंभ हुआ। यमुना नदी के किनारे स्थित यह स्थल विशेष धार्मिक महत्व रखता है, और यहां पर भव्य आयोजन किए जाते हैं। इस मौके पर धार्मिक अनुष्ठान, भव्य सजावट और रात्रि भर भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग              लेते हैं।

 प्रमुख आयोजन:

महोत्सव के दौरान मथुरा और वृंदावन के विभिन्न मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान यमुना के घाटों पर दीपमालिका और रंग-बिरंगी झांकियां सजाई जाती हैं। श्रद्धालु विशेष रूप से कार्तिक माह में यमुना स्नान करने और कृष्ण भगवान की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत, और भव्य आरती का आयोजन भी किया जाता है।

राज्य सरकार की पहल:

इस महोत्सव को और भी भव्य और आकर्षक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष व्यवस्था की है। यात्री सुविधाओं के लिए परिवहन, सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित की गई हैं। इसके साथ ही, सरकार ने इस महोत्सव को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने का भी प्रयास किया है, ताकि देश-विदेश से अधिक संख्या में श्रद्धालु इसमें शामिल हो सकें।

तीन दिवसीय कार्तिक महोत्सव मथुरा और वृंदावन में कृष्ण भक्तों के लिए एक अद्वितीय धार्मिक अवसर है। यह महोत्सव न केवल श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को भी पुनः जीवित करता है। इस महोत्सव के माध्यम से मथुरा और वृंदावन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व एक बार फिर से लोगों के बीच आता है।