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तीन हजार स्वयंसेवकों ने किया सामूहिक योग प्रदर्शन

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- संघ समाज में परिवर्तन लाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।

फरह (मथुरा)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख दिलीप बिस्पुते ने रविवार को दीनदयाल गौ विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र गऊ ग्राम परखम फरह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मथुरा विभाग के शाखा टोली एकत्रीकरण कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा है कि संघ समाज में परिवर्तन लाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।


उन्होंने कहा कि समाज में लोगों को पांच परिवर्तन अर्थात पांच विषयों को ध्यान में रखना चाहिए। स्वदेशी को हम सभी को अपने जीवन में उतारना है। नागरिक कर्तव्य अर्थात् नियमों एवं कानून के अंतर्गत व्यवहार करने से ही राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता अर्थात आपस में जातिगत उच्च नीच भेदभाव समाप्त करना होगा। समाज के सभी वर्गों का आपस में मिलना- बैठना, एक दूसरे के सुख-दुख में हिस्सा लेना अपने स्वभाव में लाना होगा। पर्यावरण की चिंता करनी होगी, ग्लोबल वार्मिंग और वातावरण का बदलता परिदृश्य चिंता का विषय है।


दिलीप बिस्पुते ने आगे कहा कि हमें केवल चिंता ही नहीं करनी, अपितु पर्यावरण की रक्षा के लिए भी प्रयास करने हैं, तभी सृष्टि का संरक्षण होगा। कुटुंब प्रबोधन पर भी ध्यान देना होगा। परिवार में बच्चे संस्कारित हो रहे हैं ऐसी चिंता करनी होगी। संस्कार बचेंगे तभी परिवार बचेंगे। इन्हीं पांच विषयों को चिंता करते हुए अपने व्यवहार व स्वभाव में लाना होगा। नागरिक अनुशासन को लेकर उद्बोधन देते हुए  स्वयंसेवकों को सरकारी नियमों का अक्षरशः पालन करने काआग्रहकिया । उन्होंने कहा कि स्वाधीनता की लड़ाई तीन विचारों को लेकर लड़ी गई थी स्वराज, स्वधर्म और स्वदेशी । जो वस्तु घर पर बनाई जा सकती है उसे बाहर से खरीदने की बजाय घर पर ही उसका निर्माण करें। उन्होंने कहा की स्वदेशी का क्रियान्वन स्वयंसेवक के निजी जीवन में करना आवश्यक है, क्योंकि समाज हमें देखकर सीख रहा है।

इससे पूर्व शाखा टोली एकत्रीकरण कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मथुरा विभाग की शाखा टोलियों के लगभग तीन हजार स्वयंसेवकों ने प्रतिभाग किया। सभी स्वयंसेवकों ने घोष की धुन पर व्यायाम योग और तिष्ठ योग का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग संघचालक डॉ० वीरेंद्र मिश्रा ने की। कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक अरुण दीक्षित जिला कार्यवाह वृंदावन रहे।