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हरित योद्धाओं के साथ दो कदम

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हरित योद्धाओं के साथ दो कदम 

पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जो न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पर्यावरण हमारे चारों ओर की प्राकृतिक दुनिया को संदर्भित करता है, जिसमें हवा, पानी, मिट्टी, पेड़-पौधे और जीव-जंतु शामिल हैं। मानव जीवन की समृद्धि और स्वास्थ्य सीधे तौर पर पर्यावरण के संतुलन पर निर्भर है। लेकिन, औद्योगीकरण, शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली की बढ़ती मांगों ने पर्यावरण को असंतुलित और दूषित कर दिया है। पर्यावरण का संकट केवल एक देश या राज्य की समस्या नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है। ऐसे में इसके समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ;न्छव्द्ध जैसा अंतरराष्ट्रीय संगठन भी समय-समय पर देशों को आगाह कर रहा है। साथ ही कार्बन एमिशन को कम करने की सिफारिश भी कर रहा है। विकास और शहरीकरण के लिए तेजी से हो रही वनों की कटाई से न केवल जैव विविधता खतरे में है, बल्कि कार्बन-डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर भी चिंताजनक है। इससे न केवल ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या हमारे सामने है बल्कि बदलते मौसम ने भयावह भविष्य का संकेत लगभग दे दिया है। 

पर्यावरण के गंभीर मुद्दों पर चर्चा को बढ़ावा देने के लिए, प्रेरणा विचार की टीम ने कुछ समर्पित हरित योद्धाओं से बातचीत की, जो पर्यावरण संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य यह जानना था कि ये योद्धा किस तरह से पर्यावरण को संरक्षित कर रहे हैं, ताकि आम नागरिक उनके योगदान को समझ कर उनसे प्रेरणा ले सकें और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अहसास कर सकें। इन हरित योद्धाओं के अनुभव और प्रयास लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ इस दिशा में कार्य करने के लिए भी प्रेरित करेंगे। इससे हर नागरिक को यह समझने में मदद मिलेगी कि पर्यावरण को बचाने में उनका भी अहम योगदान हो सकता है और यह जिम्मेदारी केवल कुछ व्यक्तियों की नहीं, बल्कि सभी की है।

देवेंद्र सूरा - साल 2011 से चंडीगढ़ पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत हैं। उनका कहना है कि एक आदर्श गांव वही होता है, जहां पर्यावरण शुद्ध हो। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने एक पौधारोपण अभियान शुरू किया। इसको सफल बनाने के लिए, उन्होंने छह बार बैंक से लोन लिया और जनता नर्सरी की स्थापना की, जहां हर साल लगभग 20,000 से 25,000 पौधे तैयार किए जाते हैं। ये पौधे लोगों को मुफ्त में वितरित किए जाते हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग पौधारोपण कर सकें और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकें। उन्होंने अपने इस अभियान से लोगों को जोड़ते हुए 26 ऑक्सीजन बागों की स्थापना की, जिनमें से 16 अकेले सोनीपत में लगाए गए हैं। ऑक्सीजन बाग एक विशेष वनस्पति उद्यान है, जहां बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाते हैं, जो अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं। यह पहल विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां वायु प्रदूषण और ऑक्सीजन की कमी जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं। देवेंद्र सूरा का कहना है कि इन बागों से न केवल पर्यावरण शुद्ध होता है, बल्कि इससे मानव जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आता है।

वह युवाओं को संदेश देते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या है और आज की युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वे पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय प्रयास करें। उनका सुझाव है कि हर व्यक्ति अपने जन्मदिन पर कम से कम पांच पौधे लगाए और उनकी देखभाल करे, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और हरित भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

अमिताभ दुबे - इसी क्रम में रायपुर के सीए अमिताभ ने पेड़ों के संरक्षण के लिए ‘ग्रीन आर्मी’ की स्थापना की है। उनकी यह पहल इस बात से प्रेरित है कि हर साल हजारों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन केवल 20 प्रतिशत ही जीवित रह पाते हैं, जबकि बाकी पेड़ बारिश और तूफान व देखभाल के अभाव में नष्ट हो जाते हैं। ग्रीन आर्मी का मुख्य उद्देश्य है इन पेड़ों को संरक्षित करना और रायपुर को एक ग्रीन सिटी में बदलना। ग्रीन आर्मी ने प्रकृति को संरक्षित करने के लिए अपने कार्यों को चार प्रमुख विंग्स में विभाजित किया है -

ग्रीन विंग: पौधारोपण और पेड़ों के संरक्षण के लिए कार्य करता है।

ब्लू विंग: जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है।

व्हाइट विंग: प्लास्टिक के उपयोग का विरोध करता है।

ब्राउन विंग: प्रदूषण नियंत्रण के लिए काम करता है।

अमिताभ को पेड़ों के संरक्षण की प्रेरणा रायपुर से बिलासपुर की यात्रा में हाईवे निर्माण के दौरान हजारों पेड़ों के कटने के दृश्य को देखकर मिली। इस अनुभव ने उन्हें प्रेरित किया कि पेड़ों को संरक्षित करना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होगा। ग्रीन आर्मी के प्रयासों से उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, जो न केवल पेड़ों की सुरक्षा में मदद करता है बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता भी बढ़ाता है।

रमाकांत त्यागी - पर्यावरण को संरक्षित करने और खासकर नदियों, तालाबों और जल के अन्य स्रोतों को बचाने के लिए मेरठ के रमाकांत त्यागी भी हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उन्हें लोग नदी पुत्र के नाम से भी संबोधित करते हैं क्योंकि उन्होंने हिंडन नदी, काली नदी के साथ-साथ कई तालाबों को भी पुनर्जीवित किया है। भारतीय नदी परिषद् का गठन कर लोगों को जोड़ा ताकि नदियों को पुनर्जीवित किया जा सके। उन्होंने नेचुरल एनवायरनमेंटल एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन का भी गठन किया ताकि आने वाले समय में जल समस्या से निपटा जा सके। 28 दिसम्बर 2023 को रमाकांत त्यागी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर पूरे भारत के नदी तंत्र को विकसित करने और इसकी महत्ता को समझाने के लिए ‘नदी दर्शन पोर्टल’ को विकसित करने का प्रस्ताव रखा। जर्मनी की जीआईजेड नामक संस्था ने भी रमाकान्त त्यागी को पूरा समर्थन दिया है। यह संस्था नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा की सफाई भी करेगी। रमाकांत त्यागी के योगदान को देखते हुए उन्हें यूएस के टैरी बेकर पुरस्कार, भारत सरकार के राष्ट्रीय जल पुरस्कार, यूके के ग्रीन एप्पल पुरस्कार आदि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है। 

विनोद मेलाना: भीलवाड़ा के विनोद मेलाना ने ‘अमृता देवी पर्यावरण नागरिक संस्थान’, जिसे ‘अपना संस्थान’ के नाम से भी जाना जाता है, की स्थापना कर पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ी पहल की है। इस संस्थान ने अब तक एक करोड़ से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा, जल संरक्षण के क्षेत्र में भी इस संस्थान ने बड़ी सफलता हासिल की है। 3500 से अधिक केंद्रों पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग के सफल संचालन के परिणामस्वरूप, भीलवाड़ा का जलस्तर, जो कभी 180 फीट तक गिर चुका था, इसमें आशातीत सुधार हुआ है, जिससे जल संकट में भारी कमी आई है। पेयजल की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, जिसे ज्क्ै (टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स) में कमी के रूप में देखा गया है।

विनोद मेलाना का मानना है कि पौधारोपण को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन जल संरक्षण के महत्व को लेकर अभी भी व्यापक सुधार की जरूरत है। वे मानते हैं कि जल संरक्षण को जन आंदोलन का रूप देने की आवश्यकता है और इसके लिए समाज के प्रतिष्ठित वर्ग को भी आगे आकर लोगों से पर्यावरण संरक्षण के लिए अपील करनी चाहिए। उनका मिशन यह सुनिश्चित करना है कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी हर नागरिक की प्राथमिकता बने। 

डॉ. दिनेश बंसल: वह पेशेवर रूप से बागपत में एक डॉक्टर हैं उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका मानना है कि वायु प्रदूषण आज की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है और इसका समाधान पौधारोपण के माध्यम से किया जा सकता है।

वर्ष 2016 में, उन्होंने एक अभिनव शुरुआत की- ‘हरित एम्बुलेंस’। यह एम्बुलेंस एक ट्रैक्टर पर आधारित है, जिसमें 1500 लीटर का एक टैंक, ऑर्गेनिक खाद और पेस्टिसाइड के बॉक्स शामिल हैं। यह एम्बुलेंस सूखे पौधों और पेड़ों के लिए एक वरदान है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पौधों को नियमित देखभाल की जरूरत होती है। कोविड-19 महामारी के दौरान, जब लोग अपने घरों में बंद थे, तब भी डॉ. बंसल ने प्रशासन से अनुमति लेकर अपनी हरित एम्बुलेंस के माध्यम से पेड़ों और पौधों की देखभाल जारी रखी और उन्हें जीवनदान प्रदान किया। इस दौरान उनकी कोशिशों ने यह सुनिश्चित किया कि पौधे स्वस्थ रहें और वायु गुणवत्ता में सुधार हो।

डॉ. बंसल की यह पहल न केवल पर्यावरण को लाभ पहुंचाती हैं, बल्कि समाज में हरित प्रयासों के प्रति जागरूकता भी बढ़ाती है। उनके कार्यों से यह संदेश मिलता है कि पर्यावरण संरक्षण में हर एक व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है और सब मिलकर ही प्रभावी बदलाव ला सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण आज की दुनिया में केवल एक नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की आवश्यकता भी है। वायु, जल, मिट्टी और वनस्पतियों की रक्षा करते हुए हम न केवल अपने वर्तमान जीवन को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक स्थिर और स्वस्थ वातावरण दे सकते हैं। 

आधुनिक जीवनशैली और औद्योगीकरण ने पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाला है, जिससे वायु प्रदूषण, जल संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। इस परिदृश्य में, अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा दी जा रहीं चेतावनियां और प्रयास विशेष महत्व रखते हैं, क्योंकि ये वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय संकट को समझने और उनका समाधान करने के लिए आवश्यक दिशा प्रदान करते हैं।

प्रेरणा विचार की टीम ने पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाले विभिन्न हरित योद्धाओं के कार्यों और अनुभवों को आम जन के सामने लाने की कोशिश की है। देवेंद्र सूरा की पौधारोपण मुहिम, अमिताभ दुबे की ग्रीन आर्मी, रमाकांत त्यागी की नदी संरक्षण पहल, विनोद कुमार वर्मा का जल संरक्षण अभियान और डॉ. दिनेश बंसल की हरित एम्बुलेंस सभी ने प्रदूषण नियंत्रण, वृक्षारोपण, जल संरक्षण और जीवन की गुणवत्ता के सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि पर्यावरण संरक्षण एक सामूहिक प्रयास है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इन हरित योद्धाओं के प्रेरणादायक कार्यों से हम सीख सकते हैं कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। समाज के प्रत्येक सदस्य को यह समझना होगा कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक है। हमारे हर एक कदम और निर्णय का पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है और इसे ध्यान में रखते हुए हमें अपने जीवन में स्थिरता और सकारात्मकता को अपनाना होगा।

अंततः, पर्यावरण संरक्षण का उद्देश्य केवल प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना नहीं है, बल्कि हमारे जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारना है। इस दिशा में उठाए गए प्रत्येक कदम, चाहे वह पौधारोपण हो, जल संरक्षण, या प्रदूषण नियंत्रण हो, समाज के हर वर्ग के योगदान को महत्वपूर्ण बनाते हैं। एक हरित भविष्य की ओर अग्रसर होने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम सभी मिलकर, एक दृढ़ संकल्प के साथ, पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रयासरत रहें।