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विद्या भारती विद्यालय छात्र संख्या और गुणवत्ता में अब किसी से पीछे नहीं

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गोरखपुर के पक्की सरस्वती शिशु मंदिर  में विद्या भारती की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक के दूसरे दिन (23/9/2023) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि विद्या भारती विद्यालय में पढ़े हुए छात्र बड़ी संख्या में समाज में प्रतिष्ठित हो चुके हैं. इन पूर्व छात्रों से सतत संपर्क बना रहे, इस उद्देश्य से सभी विद्यालयों में प्रांतीय स्तर पर पूर्व छात्र परिषद का गठन किया गया है. इससे उनके संस्कारों का पुनर्जागरण तो होता ही है, विद्या भारती के अनेक सेवा प्रकल्पों में उनकी सक्रिय सहभागिता बनी रहती है. विद्या भारती ने अनेक प्रांतों में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है. हमारे विद्यालय छात्र संख्या और गुणवत्ता में अब किसी से पीछे नहीं हैं. पूर्व छात्र एक बहुत बड़ी शक्ति हैं, उन छात्रों से आत्मीयता बढ़ाने के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उनके अंदर राष्ट्रीयता, श्रद्धाभाव, कर्तव्य बोध एवं राष्ट्रीयता का भाव भरने का कार्य किया जाता है. पूर्व छात्र पर्यावरण, जल, ऊर्जा संरक्षण, आत्मनिर्भर भारत तथा समाज जागरण के कार्यों में भी सक्रिय योगदान देते रहते हैं.

उन्होंने कहा कि अपनी -अपनी मातृभाषाओं को पढ़ने पर जोर दिया जाए माध्यम कोई भी हो. आचार्यों के प्रशिक्षण हेतु विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के प्राध्यापक के सहयोग से कार्यशाला आयोजित की जाए.

उन्होंने कहा जो सुख देने में है ,वह लेने में नहीं है. जो सुख विस्तार करने में है, वह संग्रह करने में नहीं है. जो सुख खिलाने में है, वह सुख खाने में नहीं है. सहयोग करने से आनंदमय कोश की खिड़की खुल जाती है. विद्यार्थियों के आनंदमय कोश का विकास आवश्यक है.

इससे पूर्व प्रथम सत्र में विद्या भारती के अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव ने पंचकोशात्मक विकास व एकात्म मानव दर्शन पर कहा कि हर मानव सुख प्राप्ति चाहता है. भारत में शिक्षा जीवन विकास के लिए दी जाती है. उपनिषद हमारे सबसे प्राचीन शिक्षा ग्रंथ हैं. उपनिषद में व्यक्ति का व्यक्तित्व पंचकोशात्मक बताया गया है. व्यवहार जगत में इन कोशों का विकास करना ही व्यक्तित्व का विकास करना है. शिक्षा के साथ छात्र का शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास भी आवश्यक है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रकाश में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या एन.सी.एफ में पंचकोशात्मक विकास का उल्लेख हुआ है. शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए इसे समझना आवश्यक है.

केंद्रीय संवाद केंद्र दिल्ली द्वारा दो डॉक्यूमेंट ‘शैक्षिक प्रयोग -2023’ व ‘Decision and Implementation to Promote Bharatiya Languages’ का निर्माण किया गया. दोनों का विमोचन प्रथम सत्र में किया गया.