• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहा भारत के पिथौरागढ़ स्थित लंदन फोर्ट

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

भारत भूमि का कण कान वीरों के यश की गाथा गाता है। पूरब से पश्चिम तक और दक्षिण से उत्तर तक भारतीय भूमि का शायद ही कोई स्थान ऐसा होगा जिसका अपना कोई गौरवशाली इतिहास न हो। आज हम आपको बताने जा रहे हैं देव भूमि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित एक ऐसी ही विरासत के बारे में जिसका अपना गौरवशाली इतिहास है। यहाँ बात हो रही है पिथौरागढ़ स्थित लंदन फोर्ट की।

Pithoragarh london fort situated in centre of made by gorkha in 18th  century | उत्तराखंड का लन्दन फोर्ट, खूबसूरती और कला का अनोखा नमूना | Hindi  News, UP Ki Baat

आज यह स्थान एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्धि पा रहा है। पिछले एक साल में यहाँ पचास हजार के आस पास पर्यटक पहुंचे हैं। जिससे विभाग को लगभग 10 लाख रूपये की आमदनी हुई है। बताया जाता है कि पिथौरागढ़ नगर में वर्ष 1791 में गोरखा शासकों ने इस किले का निर्माण कराया था, इसे तब बाउलिकी गढ़ के नाम से जाना जाता था लेकिन अंग्रेज हम भारतीयों से हमारी हर एक पहचान को मिटा देना चाहते थे इसीलिए अपने शासन काल में उन्होंने अनेक स्थानों के नाम बदल दिए थे। उनमें से एक यह भी था। अंग्रेजों ने इसका नाम लंदन फोर्ट रखा था।

आधा अधूरा सा इतिहास लगता है पिथौरागढ़ के लंदन फोर्ट में अंकित जानकारियां। -  Himalayan Discover

अद्भुत कला के नमूने वाले इस किले को हेरिटेज होटल में बदलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। हेरिटेज होटल में बदलने के बाद यहां पर्यटकों के रहने के साथ ही अन्य सुविधाओं का विस्तार होगा। यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी तो आय बढ़ेगी और जिले का पर्यटन कारोबार भी रफ्तार पकड़ेगा। वर्ष 2014 में इसे ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया गया था तब से यहाँ हजारों पर्यटक भ्रमण करने आते हैं।

London Fort In Pithauragarh - Pithoragarh News - लंदन फोर्ट बना सैलानियों  के आकर्षण का केंद्र

वर्तमान में इस किले की देखरेख कुमाऊं मंडल विकास निगम कर रहा है। केएमवीएन के मुताबिक रोजना 100 से 120 पर्यटक लंदन फोर्ट पहुंचते हैं। मई, जून, जुलाई में पर्यटकों की संख्या अधिक रहती है। एक साल में 48,750 पर्यटक लंदन फोर्ट पहुंचे हैं। हर व्यक्ति से 20 रुपये प्रवेश शुल्क लिया जाता है। ऐसे में केएमवीएन की एक साल में प्रवेश शुल्क से 9,75,000 रूपये की आमदनी हुई है। इसके साथ ही इसके पर्यटन केंद्र बनने से स्थानीय लोगों को भी अनेक प्रकार का रोजगार मिल रहा है। पर्यटन के साथ साथ स्वावलंबन भी का अच्छा सन्देश दे रही है यह ऐतिहासिक धरोहर।